‘पंजाब की बजाय हिमाचल के रास्ते एसवाईएल का पानी लाया जाए’

Syl water sachkahoon

प्रबुद्ध इंजीनियरों की संस्था ने सुझाया

  • मात्र 67 किलोमीटर की टनल 4200 करोड़ में एक वर्ष में हो जाएगी तैयार : समिति

भिवानी (सच कहूँ/इन्द्रवेश)। हरियाणा विधानसभा में पांच अप्रैल को होने वाले विशेष विधानसभा सत्र को लेकर एसवाईएल का पानी (SYL Water) व चंडीगढ़ पर अपना हक जताने को लेकर चर्चा होनी है। इसी को लेकर एसवाईएल हिमाचल मार्ग समिति ने राज्य सरकार को प्रदेश में बेहतर जल प्रबंधन के लिए सुझाव दिया है। समिति के अध्यक्ष एडवोकेट जितेन्द्रनाथ ने बताया कि पंजाब की बजाय 67 किलोमीटर हिमाचल के रास्ते से एसवाईएल का पानी लाया जा सकता है।

जिस पर लगभग 4200 करोड़ रुपये राज्य सरकार का खर्च होगा। यह परियोजना मात्र एक साल में पूरी हो जाएगी और टनल के रास्ते से पानी आएगा। ऐसे में उनकी मांग है कि विशेष विधानसभा सत्र में इसको लेकर प्रस्ताव पास करें। उन्होंने कहा कि वर्ष 1960 में हुई सिंधु जल संधि के अनुच्छेद 12 के अनुसार समय-समय पर जल के बंटवारे को लेकर बदलाव किए जाने का प्रावधान है। इस जल (SYL Water) समझौते को वर्ल्ड बैंक की मदद से सुलझाया जा सकता है।

हरियाणा व पंजाब की राज्य सरकारों को अपनी विधानसभाओं में बिल पास करके केन्द्र सरकार को भेजना चाहिए कि सिंधु जल संधि पर पुर्नविचार करें तथा नये आंकड़ों के अनुसार भारत को तकनीकि आधार पर मिलने वाले मात्र 19 फीसदी की बजाय 42 फीसदी पानी के हक को उसे दे तथा अपने-अपने देश में भी भारत का उचित प्रबंधन करे, ताकि जल को समुद्र में बेकार जाने देने की बजाय दोनों देशों के खेतों की सिंचाई में प्रयोग कर सके।

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