मासूमों से बचपन ही नहीं जिंदगी छीनी…

Israeli-Palestinian
मासूमों से बचपन ही नहीं जिंदगी छीनी...

Israeli-Palestinian: घर की लड़ाई हो या फिर दो देशों के बीच युद्ध पर ऐसी स्थिति में निर्दोष बच्चों में महिलाओं पर अत्याचार नहीं होने चाहिए। पर पिछले 7 अक्टूबर से इजराइल में फिलीस्तीन के बीच चल रहे युद्ध में सबसे ज्यादा बच्चों में महिलाओं पर ही मानवीय अत्याचार होते आ रहे हैं। यह पूरी मानव जाति के लिए शर्मसार होने की बात है। बच्चे अपने हो या फिर दूसरे के बच्चे, बच्चे होते हैं। बच्चों के मन में किसी के प्रति किसी भी प्रकार की द्वेष भावना नहीं होनी चाहिए। पहली बात तो युद्ध किसी भी बात का समाधान नहीं है।

किसी ने किसी दिन दोनों देशों को खुद अपने स्तर पर या फिर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बातचीत की टेबल पर आना पड़ेगा। ऐसा नहीं हुआ तो विश्व भर में गंभीर मानव संकट का संकेत मिलने जा रहा है। यह माना कि इस हमले की शुरुआत सबसे पहले फिलिस्तीन समर्थित हमास के लड़ाकुओं ने की थी। उन्होंने भी इसराइल के बच्चों में महिलाओं के साथ अमानवीय अत्याचार करते हुए को अपने कब्जे में लिया। इसी बात को लेकर इसराइल गुस्से में है। इसी गुस्से में अपने नागरिकों की सुरक्षा सुरक्षित करते हुए इसराइल ने युद्ध की घोषणा की थी। पर अब बहुत हो चुका। अंतरराष्ट्रीय समुदाय को बीच बचाव करते हुए शांति बहाली की ओर आगे बढ़ना चाहिए। Israeli-Palestinian

यूनाइटेड नेशन व यूनिसेफ इस दिशा में काम भी कर रहा है। पर चिंतनीय स्थिति है कि यूनाइटेड नेशन व इसकी अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और यूनिसेफ की बात ना तो इसराइल सुनने के लिए तैयार है और ना ही हमास। आखिर इन पर कंट्रोल किसका है? इस दिशा में आगे बढ़ाने की जरूरत है। फिलिस्तीन के समर्थित देश जो कल तक गाजा के समर्थन में बोल रहे थे, उन्होंने भी अब अपना कदम पीछे हटा लिया है। हालांकि उनकी तरफ से युद्ध में कूदना किसी भी स्तर पर सही नहीं ठहराया जा सकता। यह तो उनका अच्छा कदम है। लेकिन इसके बावजूद भी युद्ध विराम के लिए इजरायल और हमास से बातचीत की जा सकती है। इसराइल को बेशक महाशक्ति अमेरिका का समर्थन है।

पर अमेरिका भी यह है साफ तौर पर कह चुका है कि इजरायल की तरफ से अस्पतालों पर हमले वह गाज़ा पर अधिकार जमाना गलत है। किसी भी सूरत में गाजा के लोगों की स्वतंत्रता नहीं छिनी जानी चाहिए। जबसे युद्ध शुरू हुआ है तब से ही गाज़ा की मूलभूत आवश्यकताओं की सप्लाई बंद है। बिजली, पानी, ईंधन व पेट भरने के लिए खाने-पीने की वस्तुओं की सप्लाई बंद करना सीधे-सीधे मानव अधिकारों का उल्लंघन है। हालांकि यूनाइटेड नेशन व यूनिसेफ के अधिकारी समय-समय पर इजरायल गाजा पट्टी की यात्रा कर रहे हैं। अपनी चिंता भी जाहिर कर रहे हैं, लेकिन समाधान की ओर आगे नहीं बढ़ पा रहे यह स्थिति भयावह है।

4600 बच्चों की जा चुकी जान | Israeli-Palestinian

यूनिसेफ के नए आंकड़ों के अनुसार गाज़ा में अब तक इस भयानक युद्ध में 4600 बच्चों की मौत हो चुकी है, जबकि 9000 के करीब बच्चे घायल है। इनमें से अधिकतर बच्चे जिंदगी और मौत के बीच विभिन्न अस्पतालों में संघर्ष कर रहे हैं। हालांकि इन अस्पतालों में बच्चों को बचाने के लिए किसी भी प्रकार की आवश्यक सुविधाएं फिलहाल उपलब्ध नहीं है। इस तरह से बेकसूर कोमल बच्चों को अपने हाल पर छोड़ना किसी भी सूरत में सही नहीं ठहराया जा सकता।

फिलिस्तीन में इजरायल के बीच शांति बहाली के लिए यूनाइटेड नेशन प्रयासरत है। लेकिन इस अंतरराष्ट्रीय संगठन की बात अनसुनी की जा रही है। यूनाइटेड के स्थाई सदस्य जिनकी शांति बहाली में अहम भूमिका हो सकती है। उनमें से भी रस खुद यूक्रेन के साथ युद्ध में कूदा हुआ है। ऐसी स्थिति में शांति बहाली की उम्मीद कैसे की जा सकती है? यूनाइटेड नेशन के अन्य सदस्य भी इस पूरे युद्ध को एक तमाशबीन की तरह देख रहे हैं। Israeli-Palestinian

हृदयविदारक:चीत्कार मारकर रोते बच्चे

छायावाद के स्तंभ माने जाने वाले सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ने अपनी बादल राग कविता में यह कहा था कि रोग शोक में भी हंसता है, बच्चों का सुकुमार शरीर। पर सूर्यकांत त्रिपाठी निराला की यह पंक्तियां भी इस युद्ध में विपरीत दिखाई दे रही है। यहां बच्चे भी चीत्कार मार-मार कर रो रहे हैं। कोई बच्चा मलबे के ढेरों में अपनों की तलाश करता हुआ दिखाई दे रहा है तो कोई अपने जीवन की भीख मांग रहा है। पर इजरायली सी फिलहाल इस युद्ध में अपनी क्रूरता का परिचय दे रही है। यह सीधा-सीधा युद्ध अपराध है क्योंकि यूनाइटेड नेशन की संधि के अनुसार जब भी किसी दो देशों के बीच युद्ध हो या फिर किसी देश के अंदरूनी हिस्सों में किसी भी प्रकार …                                                                                                                                          डॉ. संदीप सिंहमार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार।

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