सूरज निकलने वाला है…

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Ram Rahim महक रहा है आलम दम-दम, रौनक लगी फिजाओं में ...

सूरज निकलने वाला है कि भोर हो रहा है
चिड़ियों का चहचहाना चहूं ओर हो रहा है
ये चिह्न हैं आगाज-ए-सनम के
और लोग कह रहे हैं कि शोर हो रहा है।

हर बात के पीछे कोई बात होती है-2
कोई पर्दानशीं होता है जब रात होती है।
कुछ हस्तियाँ ऐसी होती हैं कि
लाख चाहें जिनकी महिमा का
उच्चारण नहीं हो सकता
सुनहरी सुबह में फूलों का खिलना
अकारण नहीं हो सकता।

ये जो बहारों का सीजन होता है-2
इसका भी कोई न कोई रीजन होता है-2
मेरे महबूब का हुस्र ही इतना है
जो सिमटता नहीं दो जहां में
बहारों और खुशियों का आगाज
उसी के नतीजन होता है।।

ये सच है कि वो आएगा-2
लेकिन ये भी तो सच है कि
वो गया ही कहाँ है?
उसका आदि है न अनादि है-2
तो पुराना कहाँ है
और नया कहाँ है।।

दीवारें खड़ी करने से
आफताब नहीं छुपता-2
दोनों जहां का दायरा
समाते कहां है वो
आती नहीं समझ में संतों की रमज यूं-2
ब्रह्मांड समझ लेता है बघियाड़ क्षितिज को।।
संजय बघियाड़

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