‘हरियाणा में आकर प्रदूषित हो रहा घग्घर का पानी’

  •  फिर आया घग्घर में 5350 क्यूसेक पानी
  •  नदी में फ्लो बनाने के नाम पर छोड़ा जा रहा ड्रेनों का दूषित पानी

जाखल(सच कहूँ/तरसेम सिंह)। हिमाचल से शुरू होकर पंजाब के रास्ते हरियाणा में प्रवेश करती घग्गर नदी में मानसून की भारी बरसात के चलते दूसरी बार पानी का बहाव तेज हो गया है। बरसाती पानी आ जाने के कारण बुधवार को घर-घर में 5350 क्यूसेक पानी बह रहा है। हालांकि यहां का इरिगेशन डिपार्टमेंट और प्रशासन पहले से ही अलर्ट है। यहां पर बाढ़ जैसी कोई स्थिति नहीं है। हिमाचल के सिरमौर से घग्गर नदी साफ और स्वच्छ जल लेकर निकलती है, लेकिन जैसे ही वह हरियाणा में प्रवेश करती है तो उसके पानी का रंग बदलने लगता है। पंचकूला में कुछ ठीक रहता है, लेकिन इसके बाद से जैसे-जैसे नदी आगे बढ़ती है तो पानी प्रदूषित होता चला जाता है। इसका कारण है नदी में फ्लो बनाने के नाम पर छोड़ा जा रहा ड्रेनों का दूषित पानी। जैसे जैसे ड्रेनें घग्गर नदी में मिलती जाती हैं, वैसे वैसे ही घग्गर का पानी खराब होता चला जाता है और यह न तो नहाने के लायक रहता है और न ही पीने के। हरियाणा राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से की गई जांच में ये तथ्य सामने आए हैं। घग्गर बरसाती नदी है, पहाड़ों में जब अधिक बारिश होती है तो इसमें पानी आता है और यह हरियाणा-पंजाब से होते हुए राजस्थान तक पहुंचती है। बारिश के मौसम में कई बार ज्यादा पानी आने के कारण बाढ़ के भी हालात बन जाते हैं।

Ghaggar River

प्रदूषण फैलाने वालों पर लेना होगा कड़ा एक्शन: बलदेव

सिंचाई विभाग से सेवानिवृत मेट बलदेव सिंह चांदपुरा ने बताया कि नदियों को बचाने की मुहिम को गंभीरता से लेना होगा, तभी कुछ सकारात्मक परिणाम आ सकते हैं। जहां तक पानी की बात है तो फ्लो के नाम पर ड्रेनों का पानी नदियों में डालना बंद किया जाना चाहिए। इसके लिए दूसरे विकल्प तलाशने होंगे। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड केवल नोटिस देने तक सीमित है, प्रदूषण फैलाने वालों पर कड़े एक्शन लेने होंगे, साथ ही पौधरोपण को बढ़ावा देना होगा।

कौन-सी ड्रेन मिलने के बाद कितना बढ़ता है प्रदूषण ड्रेन बीओडी फीकल कॉलीफार्म (बैक्टीरिया)(एमएल में)
मोरनी के पास                     5.2 – 110
कौशल्या नदी                     34 – 130000
एसटीपी ककराली                7.5 – 170
अंबाला ड्रेन                      11 – 140
घेल ड्रेन समसपुर              12 – 130
मारकंडा                        46 – 170000
डांडोता                        35 – 110000
चीका ड्रेन                    58 – 230000
सागर पारा, रसौली         39 – 170000
कैथल ड्रेन, खनौरी         46 – 210000
रतिया के बाद             34 – 96000
जाखल के बाद            48 – 180000
ऐलनाबाद के बाद        36 – 120000

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