कह रही है ये हवा, आ रहे शाहों के शाह

Nagpur News

धरा पर आकाश नन्हीं बूंद क्यों बरसा रहा?
शीतल मंद समीर भी सुन!
सन-सन-सन कुछ गा रहा
धरा ने भी हरित परिधान क्यों धारण किया?
बन गई दुल्हन संवर के किससे ये घूंघट किया?


हरित हार श्रृंगार करके किसका इंतजार करती?
अलंकृत हो करके क्यों है खुशी का इजहार करती?
चहकती चिड़ियों का झुंड किस बात को समझा रहा?

आकाश में परिहास करता ये किधर को जा रहा?
फूल खिलकर हिल-हिल कर क्यों नृत्य क्रीड़ा कर रहे?
गंध से अपनी सुगंधित, क्यों सभी को कर रहे?

msg

सारी प्रकृति नहाकर किसका स्वागत कर रही?
मीठी वायु की मधुरता हृदय को क्यों हर रही?
कह रही है ये हवा आ रहे शाहों के शाह
इसीलिए गायन किया है और संवारी है ये राह!
एमएसजी के प्यार का वर्णन ना कोई कर सके
‘बघियाड़’ की औकात क्या! कोई कर सका ना कर सके।।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।