पेयजल के लिए भटक रहे ग्रामीण, नहीं हो रहा समाधान

Drinking Water Crisis

सीएम के जनता दरबार से भी मिली निराशा

  • जल सेवा मंडल सरसा के कार्यकारी अभियंता से मिला ग्रामीणों का प्रतिनिधिमंडल
  • ज्ञापन सौंपकर समस्या से कराया अवगत

खारियां(सच कहूँ/सुनील कुमार)। राजस्थान सीमा से सटे जिले के करीबन आठ गांवों में लंबे समय से पेयजल संकट (Drinking Water Crisis) बना हुआ है। इसके कारण हजारों ग्रामीणों के कंठ पानी की एक बूंद के लिए तरस रहे हैं। हर तरफ त्राहिमाम मचा हुआ है। ग्रामीण बार-बार पेयजल समस्या के समाधान को लेकर प्रशासनिक अधिकारियों से गुहार लगा रहे है। लेकिन चिंता की बात है कि प्रशासन के कान पर जूं तक नहीं रेंग रही है।

गत दिवस केहरवाला, मम्मड़ खेड़ा, सेनपाल, सेनपाल कोठा, मतुवाला, नथोर, कालुआना व दारेवाला गांव के ग्रामीण पेयजल समस्या के समाधान को लेकर जल सेवा मंडल सरसा के कार्यकारी अभियंता को मिले और अपनी समस्या संबंधी ज्ञापन सौंपा। बता दें कि इससे पहले ग्रामीणों का प्रतिनिधिमंडल सीएम के जनता दरबार सहित जिला उपायुक्त व विभागों के मंत्रियों से गुहार लगा चुके है। लेकिन अभी तक समस्या का कोई समाधान नहीं हुआ है।

पेयजल के लिए दर-दर भटक रहे ग्रामीण

कार्यकारी अभियंता से मिलने पहुंचे सुभाष झोरड़, बलदेव बेनिवाल, दिलराज सिंह भुल्लर, शिशपाल भादू, सुभाष कामरेड, चन्द्रशेखर, मदन, बृजलाल, चरणजीत, दयाल, अजय व अन्य सदस्यों ने बताया कि उपरोक्त गांवों में पीने तथा सिंचाई के लिए मम्मड़ ब्रांच भाखड़ा का पानी आता है। लेकिन पिछले कुछ वर्षों से मम्मड़ ब्रांच की टेल व नथोर माइनर में सिंचाई का पानी तो दूर की बात ग्रामीणों के लिए पीने का पानी भी नसीब नहीं हो रहा है।

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ग्रामीणों की ये है समस्या

ग्रामीणों ने बताया कि मम्मड़ खेड़ा ब्रांच की आरडी संख्या 100738 पर पन्नीवाला मोटा से ओढां रोड पर बने पुल के नीचे व आरडी संख्या 134700 के पास दो फाल बनी हुई है। जहां पहले नालियां बनी हुई थी। लेकिन बाद में मरम्मत के समय कंक्रीट से भर दिया गया है। जिस कारण पानी इन दोनों फालों से पीछे भरा रहता है और आगे मम्मड़ खेड़ा टेल व नथोर माइनर में नहीं पहुंच पाता।

इसलिए इन सभी गांवों को पीने के पानी के लिए दर-दर भटकना पड़ता है। वहीं सिंचाई के लिए नहरी पानी पर्याप्त मात्रा में नहीं पहुंचने के कारण किसानों को भूमिगत पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता है। जोकि ज्यादा लवणीय है। जिसकी वजह से यहां फसलें भी नामात्र होने लगी है। ग्रामीणों ने अपनी समस्या के समाधान को लेकर विभाग से गुहार लगाई है।

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