Kaithal: घर की चार दीवारी से बाहर निकलकर आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रही महिलाएं  

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महिलाएं अनाज मंडियों, लघु सचिवालय, शुगर मिल, राजकीय कॉलेज में चला रही कैंटीन

कैथल (सच कहूँ/कुलदीप नैन)। अब ग्रामीण महिलाएँ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं हैं, बल्कि सरकार की विभिन्न योजनाओं और अन्य माध्यमों से आत्मनिर्भरता की दिशा में मजबूत कदम बढ़ा रही हैं। महिलाओं के इस साहसी कदम ने न केवल महिलाओं को रोजगार से जोड़ा है, बल्कि उन्हें आत्मविश्वास और सम्मान भी दिलाया है। Kaithal News
सरकार द्वारा शुरू की गई राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन योजना महिलाओं के लिए किसी वरदान से कम सिद्ध नहीं हुई है। इस योजना के तहत जिला की करीब 150 से ज्यादा महिलायें जिले भर में घरों से बाहर निकलकर अपनी किस्मत खुद लिख रही हैं। स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएँ अब छोटे व्यवसायों के माध्यम से अपने परिवार की आमदनी बढ़ा रही हैं और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को भी नई गति मिल रही है।
स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाएं जिले की अनाज मंडियों, लघु सचिवालय, शुगर मिल, राजकीय कॉलेज में कैंटीन चला रही हैं। जहां मंडियों में किसानों और मजदूरों को मात्र 10 रुपए में भर पेट खाना दिया जा रहा है। इसके अलावा मार्केटिंग बोर्ड भी इन्हें 15 रुपए थाली के हिसाब से मदद कर रहा है। जिला लघु सचिवालय में स्वंय सहायता समूह से जुड़कर महिलाएं चाय कैंटीन चला रही हैं। ये सभी महिलाएं हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन द्वारा ट्रेनिंग दिए जाने के बाद से लगातार आगे बढ़ रही हैं। Kaithal News

अब आत्मनिर्भर बन रही महिलाएं

कुछ समय पहलें दिहाड़ी-मजदूरी करने वाली ये महिलाएं अब खुद का काम चलाकर बेहद खुश हैं। लघु सचिवालय में काम करने वाले अधिकारी- कर्मचारी भी अब इनकी चाय के मुरीद हैं। इनकी सेवाओं से अब ग्राहक विशेषकर महिला कर्मचारी भी इनको आगे बढ़ता देख बेहद खुश हैं। यह मिशन महिलाओं को न केवल आत्मनिर्भर बनाने के दिशा में ुएक बड़ा कदम है बल्कि वे इसके तहत घर से बाहर निकलकर अपना व्यवसाय भी चला पा रही हैं तथा अपने परिवार का भरण-पोषण कर रही हैं। इन महिलाओं की कहानियाँ यह साबित करती हैं कि गाँव की महिलाएँ अब सहायता मांगने वाली नहीं, बल्कि सहायता देने वाली बन चुकी हैं।

महिलाओं के समूह को सस्ती ब्याज दर पर मिलता है ऋण | Kaithal News

राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ऐसी महिलाओं के सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण का सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। इस योजना के अंतर्गत महिलाएँ स्वयं सहायता समूहों से जुड़कर स्वरोजगार के अवसर प्राप्त कर रही हैं। इस योजना की विशेष बात यह है कि इस योजना में उन महिलाओं को शामिल किया जा रहा है जिनकी आर्थिक स्थित बहुत ही कमजोर है। योजना के तहत समूह बनाकर ऐसी महिलाओं को बैंक के माध्यम से मामूली ब्याज दर पर बैंक से ऋण उपलब्ध करवा कर उनका व्यवसाय शुरू करवाया जाता है। महिलाओं की आर्थिक स्थिति भी सुधरने लगी है और वे अपने पैरों पर खड़ी हो रही हैं।

परिवार ने किया समर्थन: सुमन

नैना निवासी महिला सुमन ने बताया कि जब केंद्र सरकार की ओर से सीआरपी की टीम और हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन की टीम उनके गांव पहुंची, तब उन्होंने गांव की महिलाओं को स्वयं सहायता समूहों से जुड़ने की जानकारी दी। शुरूआत में महिलाएं असमंजस में थीं कि समूह से जुड़ना चाहिए या नहीं। कुछ का मानना था कि इससे कोई लाभ नहीं होगा, बल्कि नुकसान हो सकता है। जब इस विषय पर परिवार से बात की, तो उनके पति, सास और अन्य परिजनों ने उन्हें समर्थन दिया। परिवार के सहयोग से उनका आत्मविश्वास बढ़ा और उन्होंने स्वयं सहायता समूह से जुड़ने का निर्णय लिया। इसके बाद उन्होंने न केवल खुद बाहर निकलकर काम शुरू किया, बल्कि अन्य महिलाओं को भी प्रेरित किया।

इस योजना से जुड़ने पर परिवार की बढ़ी आमदनी: संतोष

नैना गांव की महिला संतोष ने बताया कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत ही वह स्वावलम्बी व आत्मनिर्भर बन पाई हैं। उन्होंने बताया कि वे पहले एक मजदूर के तौर पर कार्य करती थी और काफी मेहनत करने के बाद भी परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल होता था। इस योजना से जुड़कर उनके परिवार की आमदनी भी बढ़ी है।

परिवार की दशा बदली: मीना

स्वंय सहायत समूह के तहत कार्य करने वाली महिला मीना ने बताया कि आज महिलाओं का सामाजिक एवं आर्थिक विकास हो रहा है। आजीविका मिशन ने उनकी व उनके परिवार की दशा बदल दी है। ग्रामीण क्षेत्र में बहुत-सी महिलाएं घर का काम करने के बाद अपने आपको खाली महसूस करती हैं। लेकिन इस योजना से जुड़कर महिलाएं रोजगार प्राप्त कर सकती हैं। Kaithal News