ब्लड बैंक के पास डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के रूप में खुद के ब्लड डोनर
सच कहूँ/सुनील वर्मा, सरसा। आज विश्व रक्तदाता दिवस है और देश व प्रदेश में जब भी कहीं रक्तदान की बात हो तो उसमें सर्वधर्म संगम डेरा सच्चा सौदा का नाम अग्रिम पंक्ति में लिया जाता है। क्योंकि डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी सरसा जिला में ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्यों के अनेक जिलों में रक्त की आपूर्ति करने में अहम रोल निभा रहे हैं। अकेले सरसा जिले में साल भर में करीब 20 हजार यूनिट की आवश्यकता होती है। जिसके लिए जिला में दो सरकारी (एक नागरिक अस्पताल सरसा व एक सरकारी अस्पताल डबवाली) व दो ही निजी ब्लड बैंक है। इनमें एक शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल स्थित पूज्य बापू मग्घर सिंह जी इंटरनेशनल ब्लड बैंक सरसा व दूसरा शिव शक्ति ब्लड बैंक सरसा है। हालांकि इनमें से जिला की अधिकत्तर रक्त की मांग पूज्य बापू मग्घर सिंह जी इंटरनेशनल ब्लड बैंक से पूरी हो जाती है। क्योंकि ब्लड बैंक के पास डेरा सच्चा सौदा के अनुयायियों के रूप में खुद के ब्लड डोनर है।
पता चलते ही खुद पीड़ित के पास पहुंचते हैं डेरा सच्चा सौदा के रक्तदाता
डेरा सच्चा सौदा के अनुयायी पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां की पावन शिक्षाओं का अनुसरण कर किसी भी अनजान शख्स की जिंदगी बचाने के लिए रक्तदान करने हेतू पीड़ित के पास खुद चलकर पहुंच जाते हैं। इसलिए डेरा सच्चा सौदा के रक्तदाताओं को पूज्य गुरु जी ने चलते-फिरते ट्रयू ब्लड पंप की उपाधि दी है। इसके अलावा शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल स्थित पूज्य बापू मग्घर सिंह जी इंटरनेशनल ब्लड बैंक सरसा के आस-पास के क्षेत्र के साथ-साथ हरियाणा, पंजाब, राजस्थान के लोगों के जीवनदायनी बना हुआ है। पूज्य बापू मग्घर सिंह जी इंटरनेशनल ब्लड बैंक की यह विशेषता है कि यह ब्लड बैंक रक्त के बदले रक्त की मांग नहीं करता बल्कि मामूली टेस्टिंग फीस पर लोगों को रक्त मुहैया कराता है।
पूज्य बापू मग्घर सिंह जी इंटरनेशनल ब्लड बैंक में
‘जुनूनी है हम, रक्तदानी है हम, रक्तदान करना-करवाना जुनून है हमारा, बच जाये हमारे लहु से किसी की जान, बस यहीं मकसद और सुकून है हमारा।’ जी हां इसी थीम पर काम कर रहा है शाह सतनाम जी स्पेशलिटी अस्पताल स्थित पूज्य बापू मग्घर सिंह जी इंटरनेशनल ब्लड बैंक। जिसके पास डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालु के रूप में खुद के करीब 10 हजार ब्लड डॉनर है। जिनमें सभी ग्रुप के रक्तदाता शामिल है। रक्तदाताओं का यह एक ऐसा समूह है जो एक कॉल पर आधी रात को भी रक्तदान करने के लिए पहुंच जाता है। इनमें ऊपर हर तीन महीने पश्चात रक्तदान करने का जुनून सवार रहता है। जिस कारण ब्लड बैंक में कभी भी रक्त की कमी नहीं रहती। बैंक की ओर से हरियाणा, राजस्थान और पंजाब के कई जिलों में जरूरतमंदों तक रक्त पहुंचाया जाता है।
आंकड़ों पर एक नजर
2020
ब्लड बैंक में रक्तदान- 10858
लड बैंक ने रक्त दिया: 24082
कंपोनेंट 25063
(मानव रक्त में 4 कंपोनेंट होते हैं। इनमें रेड ब्लड सेल, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स और क्रायोप्रेसीपिटेट शामिल हैं।)
2021 में अब तक
ब्लड बैंक में रक्तदान- 3446
कंपोनेंट तैयार 7621
ब्लड बैंक ने रक्त दिया: 7912
उमेद इन्सां अब तक कर चुके हैं 51 बार रक्तदान
50 वर्षीय ब्लॉक कल्याण नगर की रहमत कॉलोनी निवासी हरियाणा 45 मैम्बर उमेद इन्सां अब तक 51 बार रक्तदान कर चुके है। उमेद इन्सां ने बताया कि पूज्य गुरु जी की शिक्षाओं पर चलते हुए 2001 में राजस्थान के श्रीगुरुसर मोडिया में पहली बार रक्तदान किया था। उन्होंने कहा कि खूनदान करने से हम स्वस्थ रहते है, इसलिए हर तीन महीने पश्चात वह जरूर खूनदान करते है। ताकि उनका शरीर स्वस्थ रहे। उन्हें रक्तदान करने की प्रेरणा पूज्य गुरु जी मिली है
पूज्य गुरु जी से मिली रक्तदान की प्रेरणा
भारतीय सेना से रिटायर्ड कल्याण नगर निवासी सुरेश फौजी भी रक्तदान में अपना अर्धशतक पूरा कर चुके हैं। सुरेश इन्सां ने 1998 में आर्मी कैम्प के दौरान पहली बार खूनदान किया था। उन्होंने कहा कि समाज में किसी की जिदंगी बचाना सबसे बड़ी इंसानियत है और खूनदान करने से लोगों की जान बचती है, इसलिए वह खूनदान करते हैं और उन्हें खूनदान की प्रेरणा पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां से मिली है।
‘‘विश्व रक्तदाता दिवस केवल रक्तदान करने का ही नहीं बल्कि रक्तदाता का धन्यवाद करने का भी दिन है। स्वैच्छिक और बिना किसी लाभ के रक्तदान करते है। उन्होंने कहा कि इस बार रक्तदाता दिवस का थीम ‘रक्त दो और दुनियां के दिलों को धड़कने दो’ है। यदि किसी व्यक्ति को रक्त की आवश्यकता पड़े तो युवाओं को रक्तदान के लिए तत्पर रहना चाहिए। वहीं उन्होंने डेरा अनुयायियों की प्रशंसा करते हुए कहा कि रक्तदान के क्षेत्र में डेरा अनुयायियों का विशेष योगदान है।
डॉ. अश्वनी शर्मा, कार्यक्रम अधिकारी, रैडक्रॉस सरसा।
‘‘सरसा की पावन धरती रक्तदान के कार्य में अग्रणी है। अगर सरसा जिला को रक्तदानियों का जिला कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी। हरियाणा का सबसे पिछड़ा जिला होने के बावजूद यहां रक्तदानियों की संख्या सबसे अधिक है और उसमें विशेष बात यह है कि अधिकतर रक्तदानी ग्रामीण क्षेत्र से आते हैं व अन्य जिलों की अपेक्षा यहां महिला रक्तदानियों की संख्या भी अधिक है। अक्षर-ज्ञान चाहे कम हो, परंतु यहां के लोग धर्म-परायणता, सेवा-भाव के संस्कारों से ओतप्रोत हैं। जिले का कोई भी ऐसा गांव नहीं है जहां स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन ना हुआ हो।
डॉ. वेद बैनीवाल, संरक्षक, इंडियन मेडिकल एसो. हरियाणा।
अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और Twitter पर फॉलो करें।