
Earth: अनु सैनी। हाल ही में हुई एक वैज्ञानिक रिसर्च में पता चला है कि चंद्रमा हर साल लगभग 3.8 सेंटीमीटर की दर से पृथ्वी से दूर जा रहा है। यह प्रक्रिया बेहद धीमी है, लेकिन इसके प्रभाव लाखों वर्षों में पृथ्वी के व्यवहार पर गहरा असर डालते हैं।वही विस्कॉन्सिन–मैडिसन विश्वविद्यालय की रिसर्च टीम ने सावधानीपूर्वक अवलोकन करके बताया कि यह दूरी बढ़ना पृथ्वी के रोटेशन को प्रभावित कर रहा है।
गुरुत्वाकर्षण संबंध बदल रहे हैं पृथ्वी की घूमने की गति | Earth
पृथ्वी और चंद्रमा के बीच मौजूद गुरुत्वाकर्षण खिंचाव इस पूरे बदलाव की सबसे बड़ी वजह है। वैज्ञानिकों के अनुसार, जैसे-जैसे चंद्रमा पृथ्वी से दूर जाता है, ग्रह की घूमने की गति धीमी होती जा रही है। यही कारण है कि धीरे-धीरे पृथ्वी पर दिन का समय बढ़ रहा है। यह बदलाव भले ही इंसानी जीवन में महसूस न हो, लेकिन वैज्ञानिक समय-सीमा पर इसका असर बहुत महत्वपूर्ण होता है।
20 करोड़ साल बाद दिन होगा 25 घंटे का
रिसर्च के अनुसार, यदि चंद्रमा इसी गति से पृथ्वी से दूर होता रहा तो आने वाले 20 करोड़ साल बाद पृथ्वी पर एक दिन 25 घंटे का हो जाएगा। यानी वर्तमान के मुकाबले पूरा एक घंटा अधिक। यह प्रक्रिया धीरे-धीरे जारी है और भविष्य में हमारी पृथ्वी के दिन की लंबाई को पूरी तरह बदल सकती है।
करोड़ों साल पहले छोटा था पृथ्वी पर एक दिन
अध्ययन में यह भी सामने आया है कि करीब 1.4 अरब साल पहले पृथ्वी पर एक दिन सिर्फ 18 घंटे से थोड़ा ज्यादा का हुआ करता था। उस समय चंद्रमा आज की तुलना में पृथ्वी के अधिक निकट था, जिसके कारण ग्रह की रोटेशन स्पीड ज्यादा तेज थी। समय के साथ चंद्रमा दूर होता गया और दिन की लंबाई बढ़ती चली गई।
वैज्ञानिकों के लिए क्यों महत्वपूर्ण है यह अध्ययन?
यह शोध पृथ्वी के इतिहास और भविष्य दोनों को समझने का एक महत्वपूर्ण आधार देता है। चंद्रमा के दूर जाने से न केवल दिन की लंबाई बदलती है, बल्कि पृथ्वी के जलवायु चक्र, समुद्री ज्वार-भाटे और ग्रह के आंतरिक गतिशीलता पर भी ये परिवर्तन असर डालते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसे अध्ययन ब्रह्मांडीय संबंधों और ग्रहों की गति को बेहतर समझने में मदद करते हैं।














