एसमएसजी के 55 साल, परहित में बेमिसाल- किन्नरों को सम्मानित जिंदगी

सरसा। किनरों की दयनीय दशा सुधारने और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए पूज्य गुरु संत गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने 14 नवंबर 2009 को एक ऐतिहासिक मुहिम का ऐलान किया। पूज्य गुरु जी के अनुसार किन्नरों को अपमानित व उपेक्षित जिन्दगी की बजाय इज्जत भरी जिंदगी जीने के काबिल बनाया जाए। वहीं किन्नरों के लिए भी पूज्य गुरु जी ने सम्मानजनक जिंदगी जीने का अवसर देते हुए आश्रम में स्थायी निवास आदि पर भी बल दिया। और पूज्य गुरू जी ने किन्नर, हिजड़ा आदि शब्दों की जगह नया नाम दिया ‘सुख दुआ’। किन्नरों को सभ्य समाज का आधार देते हुए पूज्य गुरु जी की यह अनुपम पहल थी जो एक क्रांतिकारी कदम के रूप में साबित हुई जब 15 अप्रैल 2014 को देश की माननीय सुप्रीम कोर्ट ने ऐतिहासिक फैसला देते हुए लिंग के तीसरे वर्ग के रूप में किन्नरों को मान्यता दे दी। इसके साथ ही किन्नरों को ऐसा दर्जा देने वाला भारत दुनिया का पहला देश भी बन गया। इस आदेश में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर यानि किन्नरों को शिक्षा एवं स्वास्थ्य देखभाल सुविधाएं मुहैया करवाने के लिए केंद्र एवं राज्यों को निर्देश देते हुए कहा कि वे सामाजिक रूप से पिछड़ा समुदाय हैं और उन्हें आरक्षण भी दिया जाना चाहिए। संविधान के आर्टिकल 14, 16 और 21 का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रांसजेंडर देश के नागरिक हैं और शिक्षा,रोजगार एवं सामाजिक स्वीकार्यता पर उनका समान अधिकार है। इस पूरी रिपोर्ट का वीडियो देखने के लिए क्लिक करें

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