ऐसे कैसे आएंगे मैडल : ग्रामीण क्षेत्रों में खेल सुविधाओं की कमी, खिलाड़ियों पर पड़ रही भारी

Lack of Sports Facilities

सरकार की ओर से पंजाब के ग्रामीण क्षेत्रों में 750 स्टेडियम बनाए जाने के दावे

सच कहूँ/खुशवीर सिंह तूर
पटियाला। बीते टोक्यो ओलम्पियन में 130 करोड़ की आबादी वाला भारत देश मैडलों को तरसता रहा जबकि लाखों की आबादी वाले देशों ने मैडलों की झड़ी लगा दी। पंजाब में ग्रामीण क्षेत्रों के खिलाड़ी सरकारी सुविधाओं को तरसते दिखाई देते हैं जबकि शहरी क्षेत्रों में सुविधाएं बेहतर हैं। यदि मुख्यमंत्री अमरिन्दर सिंह के जिले की बात की जाये तो यहां भी ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूली स्तर से उठने वाले खिलाड़ियों के लिए भारी सुविधाओं की कमी है। वैसे खेल विभाग की ओर से चाहे गांवों में अलग-अलग खेलों के सब सैंटर खुले होने की बात कही गई है, परन्तु इन सब सेंटरों की हालत बहुती अच्छी नहीं है। जानकारी के अनुसार पंजाब में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है, परन्तु विद्यार्थियों या नौवजानों को पहले पड़ाव में ही सुविधाओं की कमी उनके खेल स्तर पर भारी पड़ जाती है।

 प्रशिक्षण केन्द्रों पर प्रशिक्षकों की कमी भी प्रतिभा में डाल रही अड़चन

सरकार की ओर से मिशन तंदरुस्त के अंतर्गत पंजाब भर के ग्रामीण क्षेत्रों में 750 स्टेडियम बनाने का दावा किया जा रहा है, जिसमें से जिला पटियाला के 9 ब्लाकों में 45 स्टेडियम बनाए जाने की जानकारी मिली है। हर ब्लॉक में पाँच स्टेडियम बनाए जाएंगे। शहरी क्षेत्र पटियाला को छोड़ यदि अन्य ग्रामीण क्षेत्रों की बात की जाये तो यहाँ खेल स्टेडियमों की कमी है। खेल विभाग का पातड़ां में वॉलीबाल का सब सैंटर है और मंडोड़ में कुश्ती का सब सैंटर बना हुआ है

। इसके साथ ही अजनोदा और थूही में कबड्डी का सब सैंटर है, परन्तु इन सैंटरों में खिलाड़ियों को सुविधाओं की और ज्यादा कमी है। यदि राष्ट्रीय खेल हॉकी की बात करें तो ग्रामीण क्षेत्रों में कोई प्रशिक्षक नहीं है जबकि पटियाला शहर में हॉकी के 2 प्रशिक्षक हैं। इसके साथ ही अलग-अलग खेलों में भी कोच की कमी है। गांवों में अच्छी प्रतिभा वाले खिलाड़ियों में आर्थिक थक कमजोरी भी मैडलों के आड़े आ रही है।

पटियाला शहर में अनेकों सुविधाएं

पटियाला शहर में पोलो ग्राउंड, खेल और मक्के के तौर पर जाना जाता एनआईऐस, शहर के सरकारी स्कूल मल्टीपर्पज में अच्छे ग्राऊंड, पंजाबी यूनिवर्सिटी, थापर यूनिवर्सिटी में भी अच्छा ग्राऊंड, पॉवरकौम के खेल ग्राऊंड, डीएमडब्ल्यू ग्राऊंड सहित शहर में टैनिस, क्रिकेट आदि खेल की अच्छी अकैडमियां खुली हुई हैं। परन्तु ग्रामीण क्षेत्र के विद्यार्थियों को यहां पहुँचने के लिए काफी मशक्कत करनी पड़ती है। खेल विशेषज्ञों का कहना है कि गांवों के विद्यार्थियों को शुरू में ही अच्छी कोचिंग, अच्छी डाईट और खेल के साजो सामान हासिल हो जाएं तो पंजाब से हर गेम में अच्छे खिलाड़ी सामने आ सकते हैं।

जिले में 45 स्टेडियम बनाए जा रहे हैं : राजदान

इस संबंधी जब जिला खेल अधिकारी शसवत राजदान के साथ बात की गई तो उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से देहाती हलकों में ही खेल के स्तर को ऊंचा उठाने के लिए ही जिले में 45 स्टेडियम बनाए जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि बहादरगढ़, सनौर में खो -खो, हैंडवाल और वॉलीवाल के खेल मैदान हैं। इसके अलावा कई सब सैंटर भी चल रहे हैं। वैसे उन्होंने माना कि ग्रामीण हलकों में विद्यार्थियों या खिलाड़ियों को सुविधाओं की कमी है। उन्होंने कहा कि खिलाड़ियों की नींव पक्की करने के लिए बड़े कोशिशों की जरूरत है ताकि ओलम्पियन और अन्य खेलों में पंजाब से बड़ी संख्या खिलाड़ी मैडलों की कमी को पूरी कर सकें।

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