बेटियों देश को मान है तुम पर : टोक्यो ओलंपिक में देश की बेटियों ने जीते 7 में से 3 मेडल

Tokyo Olympics
बात शिक्षा की हो, आईटी सेक्टर की हो या फिर बात हो खेतों की या फिर खेलों की बेटियों ने विश्व में खूब नाम कमाने का काम किया है। टॉक्यो में हुए आॅलंपिक में भी देश की बेटियों ने खूब नाम कमाया

 आॅलंपिक में देश का नाम रोशन कर रही हैं देश की बेटियां

सच कहूँ, देवीलाल बारना
कुरुक्षेत्र।...म्हारी छोरियां छोरों से कम नहीं है, हर ऊंचाई को छू जाती हैं, देश का मान बढ़ाने के लिए जान पर खेल जाती हैं। यह पंक्ति देश की बेटियों पर स्टीक बैठती हैं। आज हर क्षेत्र में देश की बेटियां अपनी आवाज को बुलंद कर रही हैं। बात शिक्षा की हो, आईटी सेक्टर की हो या फिर बात हो खेतों की या फिर खेलों की बेटियों ने विश्व में खूब नाम कमाने का काम किया है। टॉक्यो में हुए आॅलंपिक में भी देश की बेटियों ने खूब नाम कमाया है। आॅलंपिक में भारत को एक स्वर्ण सहित 7 पदक मिले हैं जिसमें से 3 पदक बेटियों ने बटोरे हैं। आॅलंपिक में सबसे पहला पदक सिल्वर के रूप में देश की बेटी मीराबाई चानू ने वूमेंस 49 किग्रा वेटलिफ्टिंग में भारत की झोली में डाला।

दूसरा पदक कांस्य के रूप में लवलीना बोरगोहेन ने वूमेंस वेल्टरवेट व तीसरा पदक भी ब्रांज के रूप में पीवी सिंधु ने वूमेंस सिंगल्स बैडमिंटन में देश की झोली में डाला। हालांकि देश के बेटों ने भी चार पदक जीते हैं जिसमें से नीरज चोपड़ा ने मेंस जेवलिन थ्रो में स्वर्ण, रवि कुमार दहिया ने मेंस फ्रीस्टाइल 57 किग्रा में सिल्वर, भारतीय हॉकी टीम ने ब्रॉन्ज, बजरंग पुनिया ने मेंस 65 किग्रा रेसलिंग में ब्रॉन्ज हासिल किया है।

भारतीय महिला हॉकी टीम ने जीता पूरे देश का दिल

पहली बार आॅलंपिक में सेमिफाईनल में पहुंची भारतीय महिला हॉकी टीम बेशक देश के लिए कोई पदक नही बटोर सकीं लेकिन भारतीय महिला हॉकी टीम ने पूरे देश का दिल जीतने का काम किया। हर जुबां से भारतीय महिला हॉकी टीम के प्रदर्शन को लेकर सिर्फ वाह-वाह ही निकला। ऐसे में महिला हॉकी टीम के अच्छे प्रदर्शन को कतई भुलाया नही जा सकता और आने वाली पीढ़ियों के लिए बेटियों का यह प्रदर्शन प्रेरणा बनेगा।

2016 में देश को सिर्फ बेटियों ने दिलाए थे पदक

भारत की बेटियां खेलों में खूब दमखम के साथ आगे बढ़ रही हैं। वर्ष 2016 में रियो में हुए आॅलंपिक में देश को दो पदक मिले थे और दोनों पदक बेटियों ने देश की झोली में डालने का काम किया था। 2016 में पीवी सिंधु ने वूमेंस सिंगल्स बैडमिंटन में सिल्वर पदक जीता था व वूमेंस 58 किग्रा रेसलिंग में साक्षी मलिक ब्रॉन्ज पदक हासिल किया था। इसके अलावा 2012 में 6 पदक में से 2 पदक बेटियों साईना नेहवाल व मैरीकॉम ने देश की झोली में डाले थे। वर्ष 2000 में सिडनी में हुए आॅलंपिक में देश को एक पदक मिला जिसे देश की बेटी कर्णम मल्लेश्वरी ने देश के नाम करने का काम किया।

कम संसाधनों के बीच देश की झोली में पदक डाल रहे खिलाड़ी

इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि अन्य देशों के मुकाबले भारत के खिलाड़ियों के पास संसाधनों की कमी है। लेकिन यह चैन देने वाली बात है कि जो खिलाड़ी देश के लिए पदक लेकर आए हैं, उन सभी ने कम संसाधनों के बीच ज्यादा मेहनत के बलबूते पर देश को पदक दिलाने का काम किया है। हालांकि सरकारों द्वारा खेलों को बढ़ावा देने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन सभी खिलाड़ियों के पास सभी प्रकार की सुविधाएं नही पहुंच पाती। बावजूद इसके देश के अनेकों खिलाड़ियों ने गरीबी को मात दी है और देश का नाम दुनिया में चमकाने का काम किया है।

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