11 दिसंबर को फतेह मार्च, 15 को पंजाब के सब मोर्च खत्म
नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। पिछले एक साल से जारी किसान आंदोलन अब खत्म हो गया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने प्रेस कॉन्फ्रेस कर इसकी जानकारी दी। किसान नेता बलबीर सिंह ने कहा कि अहंकारी सरकार को झूकाकर जा रहे हैं, आंदोलन खत्म नहीं हुआ है, स्थगित हुआ है। उन्होंने कहा कि पंजाब में 15 दिसंबर को को सभी मोर्च खत्म हो रहे है। राजेवाल ने कहा कि संयुक्त मोर्चा बरकरार रहेगा। उन्होंने कहा कि हर महीने 15 तारीख को किसान मोर्चा की बैठक होगी। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा विधानसभा चुनाव में नहीं लड़ेगा। वहीं पंजाब के 32 किसान संगठनों ने कार्यक्रम भी बना लिया है। पंजाब के किसान 11 दिसंबर को घर वापसी करेंगे, 13 दिसंबर को पंजाब के 32 किसान संगठनों के नेता अमृतसर स्थित श्री दरबार साहिब में मत्था टेकेंगे, उसके बाद 15 दिसंबर को पंजाब के सभी मोर्चे खत्म कर दिए जाएंगे।
कैसे बनी सरकार और किसान के बीच सहमति
केन्द्र सरकार ने मंगलवार को किसानों के बीच प्रस्ताव भेजा था, लेकिन किसान मोर्चा इससे सहमत नहीं हुए थे, जिसके बाद सरकार ने बुधवार को नया प्रस्ताव भेजा था। जिस पर सरकार और किसान मोर्चा के बीच सहमति बन गई थी और आज बैठक के बाद किसान आंदोलन स्थगित कर दिया गया। आपको बता दें कि यह आंदोलन पिछले एक वर्ष से चल रहा था।
Protesting farmers receive a letter from Govt of India, with promises of forming a committee on MSP and withdrawing cases against them immediately
"As far as the matter of compensation is concerned, UP and Haryana have given in-principle consent," it reads pic.twitter.com/CpIEJGFY4p
— ANI (@ANI) December 9, 2021
जानें, किसानों की किन मुद्दोंं पर बनी सहमति
- एमएसपी पर प्रधानमंत्री ने स्वयं और बाद में कृषि मंत्री ने एक कमेटी बनाने की घोषणा की है। जिस कमेटी में केंद्र सरकार, राज्य सरकार और किसान संगठनों के प्रतिनिधि और कृषि वैज्ञानिक शामिल होंगे। यह स्पष्ट किया जाता है कि किसान प्रतिनिधियों में एसकेएम के प्रतिनिधि भी शामिल होंगे और इसमें जरूरी होगा कि सभी किसानों को एमएसपी मिलना किस तरह सुनिश्चित किया जाए। सरकार वार्ता के दौरान पहले भी आश्वासन दे चुकी है कि वर्तमान में जिस राज्य में जिस फसल की एमएसपी पर जितनी सरकारी खरीद हो रही है, उसे घटाया नहीं जाएगा।
- किसान आंदोलन के समय के केसों पर यूपी, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और हरियाणा सरकार ने तत्काल केस वापस लेने के लिये पूर्णतया सहमति दी है।
- किसान आंदोलन के दौरान भारत सरकार के संबंधित विभाग और एजेंसियों तथा दिल्ली सहित सभी संघ शासित क्षेत्र में आंदोलनकारियों और समर्थकों पर बनाए गए सभी केस भी तत्काल प्रभाव से वापस लेने की सहमति है। भारत सरकार अन्य राज्यों से अपील करेगी कि इस किसान आंदोलन से संबंधित केसों को अन्य राज्य भी वापस लेने की कार्रवाई करें।
- मुआवजे पर हरियाणा और यूपी सरकार ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है।
- उपरोक्त दोनों विषयों के संबंध में पंजाब सरकार ने भी सार्वजनिक घोषणा की है।
- बिजली बिल में किसान पर असर डालने वाले प्रावधानों पर पहले सभी स्टेकहोल्डर्स/संयुक्त किसान मोर्चा से चर्चा होगी। उससे पहले इसे संसद में पेश नहीं किया जाएगा।
- पराली के मुद्दे पर भारत सरकार ने जो कानून पारित किया है उसकी धारा में क्रिमिनल लाइबिलिटी से किसानों को मुक्ति दी है।
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