Haryana Railway News: हरियाणा के इन जिलों में बढ़ने वाले हैं जमीन के दाम, रेलवे लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण होगा शुरू!

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Haryana Railway News: हरियाणा के इन जिलों में बढ़ने वाले हैं जमीन के दाम, रेलवे लाइन के लिए भूमि अधिग्रहण होगा शुरू!

प्रतापनगर (सच कहूँ/राजेन्द्र कुमार)। Haryana Railway News: रेल मंत्रालय ने हाल ही में दिल्ली और अंबाला के बीच स्थित रेलवे मार्ग को फोरलेन में बदलने के लिए एक महत्वाकांक्षी परियोजना की मंजूरी दी है। यह कदम दिल्ली-अंबाला रेल मार्ग पर बढ़ती यात्री संख्या और माल परिवहन की समस्याओं को हल करने के उद्देश्य से उठाया गया है। इस योजना से न केवल रेल यात्रा में सुधार होगा, बल्कि यात्रियों को बेहतर सुविधाएं और सुविधाजनक यात्रा का अनुभव मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत दिल्ली और अंबाला के बीच 193.6 किमी लंबा रेलवे ट्रैक अब चार ट्रैक वाले मार्ग में बदलेगा।

वर्तमान स्थिति और समस्या

दिल्ली और अंबाला के बीच रेलवे मार्ग पर वर्तमान में सिर्फ दो ही ट्रैक हैं, जो यात्री और माल परिवहन की बढ़ती मांग को पूरा करने में असमर्थ हैं। इस कारण ट्रेन संचालन में देरी, क्षमता का दबाव और यात्री सुविधाओं की कमी जैसी समस्याएं उत्पन्न हो रही हैं। रेल मंत्रालय ने इन समस्याओं का समाधान करने के लिए इस मार्ग को फोरलेन बनाने का निर्णय लिया है। फोरलेन से न केवल रेलवे नेटवर्क का विस्तार होगा, बल्कि ट्रेनों के संचालन में भी सुधार होगा, जिससे यात्रियों को बेहतर अनुभव मिलेगा।

परियोजना की लागत और समय सीमा | Haryana Railway News

दिल्ली-अंबाला रेलवे मार्ग को फोरलेन में बदलने के लिए कुल 7,074 करोड़ रुपये की लागत का अनुमान है। इस प्रोजेक्ट की कुल लंबाई 193.6 किमी है, और इसे पूरा करने में लगभग चार साल का समय लगने का अनुमान है। परियोजना के तहत 32 रेलवे स्टेशनों पर विकास कार्य किया जाएगा, जिससे यात्री सुविधाओं में भी सुधार होगा। इन विकास कार्यों में आधुनिक इंफ्रास्ट्रक्चर, टूरिज्म सुविधाएं और अन्य उपयोगी ढांचे शामिल होंगे। इसके अलावा, क्षेत्रीय टूरिज्म को भी बढ़ावा मिलेगा, जिससे स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान होगा।

भूमि अधिग्रहण और प्रभावित क्षेत्र

इस परियोजना को शुरू करने के लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है। इसके तहत 15 गांवों से कुल 11 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण किया जाएगा, जिसमें समालखा डिवीजन के आठ गांव और रेस्तरां के सात गांव शामिल हैं। भूमि अधिग्रहण के बाद प्रभावित लोगों को उचित मुआवजा दिया जाएगा। इसके अलावा, परियोजना के लिए 80 हेक्टेयर भूमि निजी तौर पर और 5 हेक्टेयर भूमि सरकारी तौर पर अधिग्रहित की जाएगी। भूमि अधिग्रहण इस परियोजना की शुरूआत के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, क्योंकि इसके बिना रेलवे लाइन का विस्तार संभव नहीं हो सकता।

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