लखनऊ (एजेंसी)। उत्तर प्रदेश में 2022 में विधानसभा चुनाव होने वाले है। सभी राजनैतिक पार्टियां अभी से तैयारी करने लगी है। राजनीति विशेषज्ञ कहते हैं कि उत्तर प्रदेश से ही लोकसभा का रास्ता निकलता है। इसलिए उत्तर प्रदेश का चुनाव केन्द्र के लिहाज से भी बहुत महत्वपूर्ण है। अभी हाल ही में यूपी में जिला पंचायत अध्यक्ष के चुनाव में 75 में से 65 पर भाजपा ने जीत दर्ज की है। अभी से ही सभी राजनैतिक पार्टियां अपने समीकरण बनाने शुरू कर दिए है। कहा जाता है कि मुस्लिम वोट समाजवादी पार्टी का है।
इस बीच ओवैसी भी इस बार यूपी चुनाव में कुद पड़े है। उन्होंने इस बार अखिलेश यादव का खेल बिगाड़ने की ठान ली है। इस समय सत्ता में भाजपा है लेकिन मायावती से लेकर ओवैसी के निशाने पर बस अखिलेश यादव हैं। बीएसपी सुप्रीमों समाजवादी पार्टी को नीचा दिखाने का कोई मौका नहीं छोड़ती हैं। ओवैसी ने कहा कि कई मुस्लिम पंचायत सदस्य तो चुने गए लेकिन जिला पंचायत अध्यक्ष नहीं बन पाए। इसके लिए उन्होंने अखिलेश यादव के परिवार को कठघरे में खड़ा किया है।
सभी की नजरें मुस्लिम वोटरों पर
उत्तर प्रदेश में 19 प्रतिशत मुस्लिम वोटरों का है। कई चुनावों में हार जीत का फैसला इनके हाथों से ही होता रहा है। सत्ता में भाजपा है। भाजपा के पास योगी वाला हिंदुत्व का सीएम चेहरा है। कहा तो यही जाता है कि मुसलमान भाजपा को हराने वाली पार्टी को वोट करते हैं। इसी फामूर्ले के चक्कर में उत्तर प्रदेश में भाजपा के खिलाफ विपक्ष में घमासान मचा हुआ है। होड़ मची है समाजवादी पार्टी, बीएसपी, कांग्रेस और ओवैसी की पार्टी में मुसलमानों का रहनुमना कौन है? कहा ये भी जाता है कि अगर मुसलमान वोट बंटा तो भाजपा को ही फायदा होगा।
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