वंचितों के मसीहा थे बाबू जगजीवन राम, उपराष्ट्रपति ने किया नमन

Jagjivan Ram

नई दिल्ली (एजेंसी)। उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने पूर्व उप प्रधानमंत्री बाबू जगजीवन राम को नमन करते हुए कहा है कि उन्होंने जीवन भर वंचितों के उद्धार के प्रयास किए। नायडू ने बाबू जगजीवन राम की जयंती पर जारी एक संदेश में कहा कि वह दूर दृष्टि वाले नेता थे और उन्होंने विभिन्न पदों पर राष्ट्र की सेवा की। उपराष्ट्रपति ने कहा कि मैं देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री, वरिष्ठ राजनेता, स्वाधीनता सेनानी बाबू जगजीवन राम जी की जयंती पर उनके कृतित्व और स्मृति को सादर प्रणाम करता हूं। एक कुशल प्रशासक और राजनेता के रूप में आपकी उपलब्धियों ने समाज के दुर्बल वर्गों को भी प्रेरणा दी।

बाबू जगजीवन राम का जन्म

एक दलित परिवार में जन्म लेकर राष्ट्रीय राजनीति के क्षितिज पर छा जाने वाले बाबू जगजीवन राम का जन्म बिहार की उस धरती पर हुआ था, जिसकी भारतीय इतिहास और राजनीति में महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। बाबू जगजीवन राम का जन्म 5 अप्रैल, 1908 को बिहार में भोजपुर के चंदवा गांव में हुआ था। उन्हें जन्म से ही आदर से बाबूजी के नाम से संबोधित किया जाता था। उनके पिता शोभा राम एक किसान थे, जिन्होंने ब्रिटिश सेना में नौकरी भी की थी। जगजीवन राम अध्ययन के लिए कोलकाता गए, वहीं से उन्होंने 1931 में स्नातक की डिग्री हासिल की। कोलकाता में रहकर उनका संपर्क नेताजी सुभाष चंद्र बोस से हुआ।

आजादी की लड़ाई में सक्रियता

जगजीवन राम ने महात्मा गांधी के नेतृत्व में आजादी की लड़ाई में सक्रिय भूमिका निभाई। उन्होंने स्वतंत्रता के आंदोलन में अपनेनी राजनीतिक कौशल और दूरदर्शिता का परिचय दिया। यही वजह रही कि वह बापू के विश्वसनीय और प्रिय पात्र बने और राष्ट्रीय राजनीति के केन्द्र में आ गए। उन्होंने सत्याग्रह और 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया, जिसके परिणामस्वरूप उन्हें कई बार जेल भी जाना पड़ा।

जगजीवन राम का वैधानिक जीवन

जगजीवन राम का वैधानिक जीवन तब शुरू हुआ, जब वह 1936 में बिहार विधान परिषद के सदस्य के रूप में नामित हुए। अगले साल वह बिहार विधानसभा के लिए चुन लिए गए और जल्द ही उन्हें संसदीय सचिव बना दिया गया। 2 सितंबर, 1946 को जवाहरलाल नेहरू की अध्यक्षता में एक कामचलाऊ सरकार का गठन हुआ। नेहरू के मंत्रिमंडल में जगजीवन राम को अनुसूचित जातियों के अकेले नेता के रूप में शामिल किया गया। उस समय वह केन्द्र में सबसे कम उम्र के कैबिनेट मंत्री थे और श्रमिक वर्ग के प्रति उनकी सद्भावना को देखते हुए उन्हें श्रम मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। यहीं से बाबू जगजीवन राम का संघीय सरकार में केंद्रीय मंत्री के रूप में सफर शुरू हुआ।

मंत्री के रूप में लंबा कार्यकाल

बाबू जगजीवन 1952 से 1984 तक लगातार सांसद चुने गए। वह सबसे लंबे समय तक (लगभग 30 साल) देश के केंद्रीय मंत्री रहे। पहले नेहरू के मंत्रिमंडल में, फिर इंदिरा गांधी के कार्यकाल में और अंत में जनता सरकार में उप प्रधानमंत्री के रूप में। केन्द्र सरकार में अपने लंबे कॅरियर के दौरान उन्होंने श्रम, कृषि संचार रेलवे और रक्षा जैसे अनेक चुनौतीपूर्ण मंत्रालयों का जिम्मा संभाला। उन्होंने श्रम के रूप में मजदूरों की स्थिति में आवश्यक सुधार लाने और उनकी सामाजिक आर्थिक सुरक्षा के लिए विशिष्ट कानून के प्रावधान किए जो आज भी हमारे देश की श्रम नीति का मूलाधार है।

 

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