सिद्धू मूसेवाला के भोग पर पिता की भावुक अपील सुन लोगों की आंखें हुई नम

Balkaur Singh

कहा, ‘मेरे पंजाब को आग में से निकाल लो, आज मेरा उजड़ा है,
कल को किसी का ओर न उजड़े’

मानसा(सच कहूँ/सुखजीत मान)। पंजाबी गायक स्व. शुभदीप सिंह सिद्धू मूसेवाला नमित्त आज मानसा की बाहर की अनाज मंडी में हुई अंतिम अरदास में शामिल होने के लिए पहुँचे उसके प्रशंसकों की बाढ़ आ गई। हर उम्र वर्ग के लोग पंजाब, हरियाणा, राजस्थान सहित अन्य कई राज्यों और विदेशों में से भी अंतिम अरदास में शामिल होने के लिए पहुुंचे। बड़ी संख्या में युवाओं ने सिद्धू मूसेवाला की तस्वीर वाली टी-शर्टंे पहनी हुई थी। इस मौके सिद्धू मूसेवाला के पिता बलकौर सिंह ने उपस्थितजनों को संबोधन करते जो भावुक बोल बोले, उसने वहां मौजूद हर सख्श की आंखें नम कर दीं।

मूसेवाला के पिता ने कहा कि ‘29 मई नूं मनहूस दिन चड़िया, जिस दिन इह भाणा वरत गिआ, तुहाडे वल्लों बहाए गए हंझूआं ने साडा दु:ख काफी हद तक घट किता है। इह घाटा असीं सहन कर लवांगें किहा तां जा सकदा है, पर कीता नहीं जा सकदा।’ उन्होंने हाथ जोड़कर अपील करते कहा कि ‘मेरे पंजाब को आग में से निकाल लो, आज मेरा उजड़ा है, कल को किसी का ओर न उजड़े।’ उन्होंने कहा कि वह परम पिता परमात्मा के नाम से शिक्षा लेकर आगे की जिंदगी जिएंगे। सिद्धू के स्वभाव के बारे में जिक्र करते उन्होंने बताया कि वह सीधा-सादा लड़का था, जैसे गांवों में लड़के होते हैं।

‘पिता जी, हर बात को मेरे साथ क्यों जोड़ दिया जाता है : सिद्धू

अगर सिद्धू गलत होता तो हम प्राईवेट सुरक्षा का इंतजाम कर लेते परंतु उसने कभी किसी का बुरा नहीं किया था परन्तु उसका बुरा हो गया। दु:खी मन से बलकौर सिंह ने बताया कि जब कभी भी कोई बात होती तो शुभदीप सिंह रोने लग जाता और कहता ‘पिता जी, हर बात को मेरे साथ क्यों जोड़ दिया जाता है?’ उन्होंने कहा कि जब उससे पूछा कि तू बता कि तू किसी बात या घटना में शामिल तो नहीं तो वह कहता नहीं, फिर उसे हौसला देते कि यदि तू किसी गलत काम का हिस्सा नहीं तो फिर तुझे डरने की जरूरत नहीं।

सिद्धू मूसेवाला की मां ने की पौधे लगाने की अपील

सिद्धू मूसेवाला की मां चरन कौर ने कहा कि ‘29 मई को मुझे यह लगता था कि सब कुछ खत्म हो गया परन्तु आपकी तरफ से दुख में दिए गए साथ से मुझे ऐसा लगने लगा है कि शुभदीप कहीं गया नहीं, मेरे आसपास ही है’। उन्होंने अपील की कि सिद्धू के बोल मुताबिक पगड़ी और माता-पिता के सत्कार को कायम रखना। आज प्रदूषण बहुत बढ़ गया है, इसलिए उसके नाम का एक-एक पौधा लगाकर उसे पालना है, जिससे हमें भी शान्ति मिले।

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