कोरोना का कहर: हर व्यक्ति को होना होगा जागरूक

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कोरोना की दूसरी लहर विकराल रूप ले रही है। देश में एक दिन में 81 हजार मामले आने चिंताजनक है। इनमें से 50 प्रतिशत से अधिक मामले अकेले महाराष्टÑ में आए हैं। पुणे में सात दिन के लिए आंशिक लॉकडाउन लगा दिया गया है, जिसमें रेस्तरां, होटल व बस सेवा बंद रहेगी। दिल्ली में भी एक दिन में 2790 मामले आए हैं, वहीं राजस्थान में पिछले दस दिनों में कोरोना के केस तीन गुणा बढ़े हैं। ऐसे मामलों की तादाद भी बहुत है जब संक्रमित व्यक्ति के शरीर में बीमारी का कोई लक्षण दिखाई ही नहीं देता। राजस्थान में कुछ ऐसे मामले भी आए हैं जिसमें आरटी पीसीआर रिपोर्ट नोर्मल है परन्तु सीटी स्कैन रिपोर्ट में फेफड़े कोरोना संक्रमित हैं। ऐसी परिस्थितियां बेहद चिंताजनक हैं।

भारत ही नहीं दुनिया के विकसित देश भी इस भयावह बीमारी से जूझ रहे हैं। वैज्ञानिक अप्रैल के मध्य में कोरोना की दूसरी लहर के पीक स्तर पर पहुंचने का अनुमान लगा रहे हैं। दुनिया को इस महाबिमारी से जूझते हुए एक वर्ष से अधिक का समय हो चुका है। हालांकि वैक्सीन भी आ चुकी है परन्तु वैक्सीन लगवाने की रफ्तार बेहद धीमी है। भारत में अभी तक मात्र छह करोड़ लोगों को ही वैक्सीन लग पाई है। सरकारें अपने स्तर पर प्रयास कर रही हैं। कहीं पर पूर्ण तो कहीं पर आंशिक पाबंदियां लगाई गई हैं। बेशक इस प्रकार की पाबंदियां, लॉकडाउन इस बिमारी का हल नहीं परन्तु वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रकार की पाबंदियों द्वारा कोरोना की रफ्तार को कुछ कम अवश्य किया जा सकता है।

लॉकडाउन के दौरान आने वाली समस्याओं से जनता भी रूबरू हो चुकी है। सरकारी प्रयास तभी सफल होते हैं जब जनता की उसमें सहभागिता होती है। कोरोना को रोकने की जिम्मेदारी केवल सरकार की है यह सोचने की भूल मानव जीवन पर भारी पड़ सकती है। कोरोना से बचने के लिए हर एक व्यक्ति को जागरूक होना होगा और खुद का बचाव करना होगा। पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने भी लोगों को कोरोना से सचेत करते हुए अपना ध्यान रखने का संदेश दिया है।

 

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