‘केवल कानूनी सिद्धांत नहीं, न्यायपूर्ण-समान समाज की नींव हैं मानवाधिकार’

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'केवल कानूनी सिद्धांत नहीं, न्यायपूर्ण-समान समाज की नींव हैं मानवाधिकार'

अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस पर भारतीय संविधान एवं मानवाधिकारों का संरक्षण विषयक कार्यशाला

International Human Rights Day: हनुमानगढ़। टाउन स्थित नेहरू मैमोरियल विधि महाविद्यालय में बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष्य में एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का विषय भारतीय संविधान एवं मानवाधिकारों का संरक्षण था। इस दौरान, छात्र-छात्राओं और शिक्षकों ने सामूहिक रूप से मानवाधिकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए प्राचार्य डॉ. सीताराम ने अपने संबोधन में कहा कि अपने हक से कोई महरूम न हो, सबके लिए समानता हो और इंसानियत की तालीम हो तभी मानवाधिकार दिवस सार्थक होगा। उन्होंने बताया कि मानवाधिकार सार्वभौमिक, अविभाज्य और मौलिक हैं। Hanumangarh News

ये अधिकार प्रत्येक व्यक्ति को समानता, स्वतंत्रता और सम्मान के साथ जीने का अधिकार प्रदान करते हैं, चाहे उनकी जाति, धर्म, लिंग, या राष्ट्रीयता कुछ भी हो। मानवाधिकार केवल कानूनी सिद्धांत नहीं हैं, बल्कि एक न्यायपूर्ण और समान समाज की नींव हैं। कार्यशाला में विधि प्रथम सेमेस्टर के छात्र-छात्राओं प्रदीप, नम्रता, देवकी, मनीषा, ध्रुव, उर्मिला ने मानवाधिकारों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि और उनके संवैधानिक महत्व पर विचार व्यक्त किए।

महाविद्यालय के विधिक सेवा क्लीनिक प्रभारी सहायक आचार्य डॉ. बृजेश अग्रवाल ने मानवाधिकार और उच्चतम न्यायालय की भूमिका पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि कैसे भारतीय न्यायपालिका ने मानवाधिकारों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण निर्णय दिए हैं और समय-समय पर संविधान की व्याख्या कर सामाजिक न्याय को सुनिश्चित किया है। इस मौके पर सह आचार्य डॉ. केबी ओझा, सहायक आचार्य डॉ. मोहम्मद इमरान सहित अन्य शैक्षणिक एवं अशैक्षणिक कर्मचारी और छात्र-छात्राएं मौजूद रहे। Hanumangarh News