बेजुबान पशुओें के स्वास्थ्य के प्रति उदासीनता
बेजुबान पशुओं के रखरखाव और उनकी सेहत के प्रति मौजूदा समय की भौगोलिक परिस्थितियों में खासा बदल आ चुका है। समाज ने जब से पशुधनों को नकारना शुरू किया तभी से तमाम किस्म के पशुओं की प्रजातियां भी लुप्त हो गई हैं।
जिन्दगी क्यों भार स्वरूप लगने लगती है?
कितनी ही बार बड़े काम आसानी से हो जाते हैं, पर छोटी चीजें देर तक अटकाए रहती हैं।
बड़ी मुसीबतें और दुख झेल लिए जाते हैं, छोटे-छोटे दुखों से उबरना कठिन हो जाता है। दरअसल शुरू में हमें छोटे कामों की अहमियत ही नहीं पता चलती।


























