यह तोड़ने का नहीं देश को जोड़ने का समय
दुर्भाग्य देखिए जिस संविधान पर देश चलता। उसी संविधान ने समता और जीवन जीने की स्वतंत्रता दे रखी, लेकिन रहनुमाई बेरुखी ने तो कइयों श्रमिकों की जान ले ली। कोई भूख से मरा तो कोई सिस्टम के नकारेपन की वजह से।
संस्कार और प्रकृति ही बचाएगी मानव जीवन को
कोरोना महामारी और उससे बचने के लिए किया गया लॉकडाउन मानव जाति को कई संदेश दे रहा। जिससे सीख लेने की जरूरत सभी विकसित और विकासशील देशों को है। खासकर भारत को, क्योंकि हम तो पुरातन समय से प्रकृति के उपासक रहें हैं फिर क्यों आधुनिक दौर में विकास की सुनहरी अवधारणा में प्रकृति को भूल गए।