भारत का विकृत दृष्टिकोण
पूर्ववर्ती योजना आयोग ने 2011 में इस मुद्दे पर चर्चा की थी तथा संयुक्त राष्ट्र संघ और अन्य संगठन बीच-बीच में इस पर चर्चा करते रहते हैं। आंतरिक विस्थापन का मुद्दा पहले इस तरह कभी नहीं उठा।यहां तक कि 1950 के दशक में भी नहीं उठा जब भाखड़ा और दामोदर घाटी परियोजनाओं के कारण बड़ी संख्या में लोगों का विस्थापन हुआ था।
सशक्तिकरण में युवाओं की भूमिका
उसे स्व्यं से प्रश्न करना होगा कि भारतीय खेती और खेतिहर की आज दुर्दशा क्यों है ? उसे मंथन करना होगा कि यदि खेती सचमुच घाटे का सौदा है, तो फिर कई कंपनियां खेती के काम में क्यों उतर रही हैं ? कमी हमारी खेती में है या विपणन व्यवस्था में ? ऊंची पसंद वाले देसी, जैविक और हर्बल को अन्य से उत्तम समझ रहे हैं।