महिलाओं में तंबाकू सेवन की बढ़ती कुप्रवृत्ति

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बदलती जीवनशैली में महिलाएं किस कदर धूम्रपान की लती बन रही हैं इसका उल्लेख ग्लोबल एडल्ट टौबैको सर्वे (गेट्स) 2016-2017 की एक रिपोर्ट से हुआ जिसमें कहा गया कि देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की हर छठी महिला धूम्रपान की लती है। इस रिपोर्ट के मुताबिक चकाचौंध भरा परिवेश ही युवतियों और महिलाओं को धूम्रपान की ओर आकर्षित कर रहा है।

केंद्रीय परिवार कल्याण विभाग, विश्व स्वास्थ्य संगठन, एवं टाटा इंस्टीट्यूट आॅफ सोशल साइंसेज मुंबई द्वारा तैयार इस मल्टी स्टेज सैंपल डिजायन में देश भर से कुल 74,037 लोगों को एवं उत्तर प्रदेश से 1685 पुरुष व 1779 महिलाओं को शामिल किया गया। इस रिपोर्ट पर गौर करें तो वर्ष 2009-10 में हुए सर्वे से धूम्रपान करने वालों की संख्या उत्तर प्रदेश में बढ़ी है।

इसमें तंबाकूजनित उत्पादों को प्रयोग करने वाले पुरुषों का औसत 52.1 प्रतिशत रहा वहीं महिलाओं का औसत 17.7 प्रतिशत रहा। इस रिपोर्ट के मुताबिक कई महिलाएं मसलन मजदूरी करने वाली गुटखा, खैनी और बीड़ी का सेवन कर रही हैं वहीं कई शौकिया सिगरेट पीने और गुटखा खाना शुरू करने के बाद अब इसकी लती बन गयी हैं।

गत वर्ष विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा जारी एक अन्य रिपोर्ट में भी कहा गया कि देश में 14.2 प्रतिशत महिलाएं तंबाकू का सेवन करती हैं। इस रिपोर्ट के मुताबिक तंबाकू की खपत के मामले में 6 पूर्वोत्तर राज्य-मिजोरम, मेघालय, मणिपुर, नागालैंड, त्रिपुरा और असम सबसे आगे हैं। तंबाकू सेवन से कैंसर, फेफड़ों की बीमारियां और हृदय संबंधी कई रोगों की संभावना बढ़ रही है।

अगर महिलाओं को इस बुरी लत से दूर नहीं रखा गया तो उन्हें इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। उचित होगा कि भारत सरकार तंबाकू सेवन के विरुद्ध जनजागरुकता कार्यक्रम का विस्तार करने के साथ ही तंबाकू की खेती पर रोक लगाए। ‘ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वेक्षण द्वितीय’ की रिपोर्ट में कहा भी गया है कि देश में सबसे ज्यादा सेवन खैनी और बीड़ी जैसे उत्पादों का होता है। इसमें 11 वयस्क खैनी का और 8 प्रतिशत वयस्क बीड़ी का सेवन करते हैं जिनमें युवतियां व महिलाएं भी होती हैं।

कार्यालयों और घरों के अंदर काम करने वाले हर 10 में से 3 स्त्री-पुरुष पैसिव स्मोकिंग का शिकार होते हैं। जबकि सार्वजनिक स्थानों पर इसके प्रभाव में आने वाले लोगों की संख्या 23 प्रतिशत है। गत वर्ष ग्रेटर नोएडा के एक्सपो मार्ट में फ्रेमवर्क कन्वेंशन आॅन टोबैको कंट्रोल (एफसीटीसी) कॉप-7 (कॉन्फ्रेंस आॅफ पार्टीज-7) सम्मेलन में भारत की ओर से विभिन्न संस्थानों के सहयोग से चबाने वाले तंबाकू की वजह से होने वाले कैंसर, हृदय रोग और मुंह की बीमारियों के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट पेश किया गया।

इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत में 15 साल और उससे अधिक उम्र की सात करोड़ महिलाएं भी चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का सेवन कर रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि इसके सेवन से गर्भवती महिलाओं में एनीमिया का खतरा 70 प्रतिशत बढ़ गया है। चबाने वाला तंबाकू किस हद तक जानलेवा साबित हो रहा है इसी से समझा जा सकता है कि अगर इस पर रोकथाम नहीं लगा तो 21 वीं शताब्दी में तंबाकू सेवन से होने वाली मौतों का आंकड़ा एक बिलियन तक पहुंच सकता है।

एफसीटीसी सेक्रेटेरिएट की मानें तो वर्ष 2030 तक इससे होने वाली 80 प्रतिशत मौतें कम आय वाले देशों में होगी जिनमें से एक भारत भी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि तंबाकू के सेवन से प्रतिवर्ष 60 लाख लोगों की मौत होती है और तरह-तरह की बीमारियों का सामना करना पड़ता है। विशेषज्ञों का कहना है कि तंबाकू का सेवन मौत की दूसरी सबसे बड़ी वजह और बीमारियों को उत्पन करने के मामले में चौथी बड़ी वजह है। दुनिया में कैंसर से होने वाली मौतों में 30 प्रतिशत लोगों की मौत तंबाकू उत्पादों के सेवन से होती है।

लोगों को तंबाकू सेवन से उत्पन बीमारियों से निपटने पर अपनी कमाई का एक बड़ा हिस्सा खर्च करना पड़ रहा है। यह रकम एक लाख करोड़ से अधिक है। अगर यह भारी रकम लोगों के स्वास्थ्य पर खर्च किया जाए तो कुपोषण एवं किस्म-किस्म के रोगों से निपटने में मदद मिलेगी। अच्छी बात है कि भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति 2017 के तहत देश में तंबाकू उत्पादों के सेवन में 2020 तक 15 प्रतिशत और 2025 तक 30 प्रतिशत की कमी लाने का लक्ष्य रखा है। अगर यह लक्ष्य सधता है तो नि:संदेह तंबाकू सेवन की बुरी लत से पुरुषों के साथ-साथ महिलाएं भी बचेंगी।

रीता सिंह

 

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