सरकार बताए, कृषि सुधारों का वक्त आ गया
किसान आंदोलन दिन-ब-दिन जिस तरह से आगे बढ़ रहा हे, उससे यहां देश के आंतरिक मामलों में बाहरी देशों की दिलचस्पी बढ़ रही है वहीं देश में भी अशांति का माहौल बन रहा है।
मौत बनकर दौड़ी सिस्टम की बिना ब्रेक ट्रेन
कोरोनाकाल में अपने गांव लौट रहे थे। लेकिन बिन बुलाई मौत ने उनको रास्ते में ही घेर लिया। आंखों में नींद थी इसलिए ट्रैक पर ही सो गए, ट्रैक पर सोना मजदूरों की बेबसी थी और मौत की मुनाद। ऐसी मुनाद जिसकी ध्वनि को रेल चालक सुन नहीं सका। वह सरपट मजूदरों पर रेल चलाता हुआ निकल गया। पटरियों पर ही उनकी कब्र खोद गया।

























