प्रेरणास्त्रोत: गुरु नानक की करुणा
सेठ ने आश्चर्य का पार न रहा। हाथ जोड़कर बोला- ‘‘गुरुदेव! आप क्या कह रहे हैं?
परलोक में तो मनुष्य कुछ भी नहीं ले जा सकता। सब यहीं का यहीं धरा रह जाता है।’’
कोरोना के साथ जीना सीखो
सरकार को अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए आर्थिक टीका लगाना पड़ेगा। अर्थव्यवस्था को धीरे-धीरे खोलना और नई स्थिति के साथ समायोजन करना वक्त की मांग है।
स्वच्छता के बिना पूंजीनिर्माण एक अभिशाप
आमजन पीढ़ी दर पीढ़ी ये संस्कार देते थे कि पेड़-पौधों, जीवों, मिट्टी-हवा, पानी को नुक्सान नहीं पहुंचाया जाए।
बेड़ियों के बीच
लुहार ने सोचा कि जब वह अपनी कुशलता और मेहनत से मजबूत बेड़ी बना सकता है तो वह उसी कुशलता और मेहनत का प्रयोग कर उस बेड़ी से अपने हाथों को मुक्त भी कर सकता है। उसने कुएं में अपना सारा अनुभव, शक्ति और बुद्धि उस बेड़ी को खोलने में लगा दी।

























