जल संकट की आहट को समझें
एक रिपोर्ट के मुताबिक, पूरी दुनिया की ग्रामीण आबादी के 82 फीसदी हिस्से को साफ पानी मयस्सर नहीं होता है, जबकि 18 फीसदी शहरी आबादी साफ पानी से महरुम है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अध्ययन के अनुसार, दुनिया भर में 86 फीसदी से अधिक बीमारियों का कारण असुरक्षित व दूषित पेयजल का सेवन है।
भविष्य की चिंता
ऐसा क्यों नहीं सोचते कि समयानुसार यदि समस्याएं आएंगी, तो उनका हल भी निकालते रहेंगे।' सेठ को अपनी भूल समझ में आ गई।
इंसानियत का पल्ला न छोड़ें
हमारी संस्कृति भूख से तड़प रहे लोगों को भोजन खिलाने की है, न कि किसी की जेब काटने की। डेरा सच्चा सौदा के श्रद्धालुओं व अन्य समाजसेवी संस्थाओं के सदस्य मदद के लिए लोगों को ढूंढकर उन्हें राशन मुहैया करवा रहे हैं। ऐसे जज्बे को सलाम है।
सीरियल से संस्कारों की शिक्षा
रामायण और महाभारत दोनों सद्ग्रंथ जो सीरियल के रुप में दिखाए जा रहे हैं वह अपने आप में संस्कारों की पाठशाला है। उसके किरदार नैतिक मूल्यों के जीवंतता को समेटे हुए हैं।
जिम्मेवारी से काम करे मीडिया
मीडिया को एक जिम्मेवारी से काम करते हुए अफवाहों पर विराम लगाना चाहिए, ऐसे समय में लोगों को ज्यादा से ज्यादा जागरूक करना चाहिए। बिना पुष्टि की खबरों को पेश करने से परहेज करना चाहिए।
अच्छा और बुरा
आचार्य द्रोण बोले-'जो व्यक्ति जैसा होता है, उसे सारे लोग वैसे ही दिखाई पड़ते हैं। इसलिए दुर्योधन को कोई अच्छा व्यक्ति नहीं दिखा और युधिष्ठिर को कोई बुरा आदमी नहीं मिल सका।
सत्ता के जादूगर: बेंजामीन नेतन्याहू
नेतन्याहू के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी पूर्व सेना प्रमुख जनरल बेन्नी गैंट्ज की ब्ल्यू एंड व्हाइट पार्टी ने नेतन्याहू की पार्टी के साथ गठबंधन की सरकार बनाने का फैसला कर उन्हें राजनीतिक संजीवनी प्रदान कर दी है।
भारत का स्वाभिमान
राजा राममोहन राय बोले- यह भारत के स्वाभिमान का मुद्दा है। अगर अभी इस भेदभाव का विरोध नहीं किया गया तो यह समस्या बढ़ती ही जाएगी। अंग्रेजों द्वारा किए जा रहे बुरे बर्ताव के खिलाफ कानून बनवाने की ठान ली और बाद में अपने अथक प्रयासों से ऐसा कानून बनवाने में सफल भी हुए।
अर्थव्यवस्था ने मचाई त्राहि त्राहि
भारत की अर्थव्यवस्था को एक बार फिर जोर का झटका लगा है। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसी मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने शक्रवार को वर्ष 2020 में भारत की आर्थिक वृद्धि दर के अपने पहले के अनुमान को घटा कर 2.5 फीसदी कर दिया है।
जीवन की सुरक्षा के लिए सख्ती बरतना जायज
बिहार के मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी कि यदि यह मजदूर अपने-अपने राज्यों में पहुंचेंगे फिर लॉकडाउन का कोई महत्व ही नहीं रहेगा। नीतिश कुमार की बात सही थी, क्योंकि भले ही ये मजदूर बसों में या पैदल आते, बीमारी के मद्देनजर यह भीड़ देश के लिए बड़ी समस्या उत्पन्न कर सकती है।


























