बैंकिंग सिस्टम में हो ठोस सुधार
आवश्यकता है निजी बैंकों की कार्यप्रणाली की सही निगरानी करने के लिए मजबूत अॅथारटी बनाने की। प्राईवेट बैंक अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा बन चुके हैं। एनपीए में सरकारी बैंक भी पीछे नहीं हैं फिर भी निजी बैंकों के प्रबंध को सभ्य बनाने के लिए विशेष जोर देना होगा।
दंगाइयों की निजता क्या?
राज्य की कार्यवाही के विरुद्ध आप विरोध कर सकते हैं किंतु यह शांतिपूर्ण होना चाहिए और किसी भी व्यक्ति को निजता की आड में छिपने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए।
जीवन क्या है?
वह हाथी काल था, मगरमच्छ मृत्यु था, मधु जीवनरस था और काला तथा सफेद चूहा रात-दिन। इन सबका सम्मिलित नाम ही जीवन है।’
मजबूर लोगों से मुनाफे के नाम पर लूट क्यों
परंतु जब से लोगों ने बैंकों में, सोने में, आलीशान घरों में धन का निवेश करना शुरू किया है, तब से बहुत से लोग इस ताक में रहने लगे हैं कि कब आफत टूटे और वे कमाई करें।
चीन की करतूत से दुनिया हो रही तबाह
चीन क्या ऐसा वायरस युद्धकाल में अपने दुश्मन देश की सेनाओं के खिलाफ प्रयोग करने के लिए तैयार कर रहा था? अभी तक सिर्फ अनुमान है कि चमगादड़, कुता या फिर बिल्ली के सड़े मास से यह वायरस उत्पन्न हुआ है। पर अभी तक चीन की ऐसी कोई प्रमाणिक स्वीकृति सामने नहीं आयी है।
ज्योतिष एक विज्ञान
हर व्यक्ति को यह जान लेना चाहिए कि वह जिस व्यक्ति को ज्ञानी समझ रहा है, वह वास्तव में ज्ञानी है भी या नहीं। कहीं हम ऐसे व्यक्ति को तो मान नहीं दे रहे जो उसका वास्तविक हकदार है ही नहीं।
भारत की सराहनीय पहल
भारत की सबसे बड़ी सफलता वायरस से पीड़ित मरीजों की पहचान करना है। केंद्र सहित राज्य सरकारों द्वारा हवाई अड्डों पर विदेशों से लौटे लोगों की निरंतर जांच की जा रही है। इसी तरह कोई जनसभा करना, सिनेमा, जिम, स्विमिंग पुल बंद करवाने के साथ-साथ स्कूलों व कॉलेजों में भी छुट्टियां कर दी गई हैं।
राजनीतिक दृष्टि से मुकाबला करने की आवश्यकता
कोरोना वायरस के कारण एक सुनियोजित संकट पैदा हो सकता है जिसमें सप्लाई चेन बाधित होगी, वस्तुओं के उत्पादन में गिरावट आएगी, तेल के मूल्यों को लेकर जंग छिड़ेगी और उपभोक्ता मांग में गिरावट आएगी।
भक्त के रुप में ठग
जो मनुष्य भगवान का भय मानता है उसे वे निर्भय कर देते हैं। वास्तव में वह व्यक्ति बुद्धिमान है, जो भगवान के भय के कारण विषय-विकारों से और अशुभ-वासनाओं से दूर रहता है।
अब नहीं ली तो कब लेंगे सीख?
जब मनुष्य प्राकृति से छेड़छाड़ की हदों को पार करेगा तब प्राकृति का प्रकोप बर्दाश्त करना पड़ता है। प्राचीन ग्रंथ महाविज्ञान हैं जो मनुष्य का न केवल रूहानी नेतृत्व करते हैं बल्कि मनुष्य के स्वास्थ्य का रास्ता भी बताते हैं।


























