समाज का संकट
महर्षि बोले, ' जिस तरह जीर्ण-शीर्ण शरीर को एक वैद्य बचा सकता है उसी तरह विचारक और शिक्षाशास्त्री जीर्ण-शीर्ण मस्तिष्क को बचा सकते हैं। आज समाज को ऐसे ही लोगों की आवश्यकता है।
बैंकिंग सिस्टम में हो ठोस सुधार
आवश्यकता है निजी बैंकों की कार्यप्रणाली की सही निगरानी करने के लिए मजबूत अॅथारटी बनाने की। प्राईवेट बैंक अर्थव्यवस्था का बड़ा हिस्सा बन चुके हैं। एनपीए में सरकारी बैंक भी पीछे नहीं हैं फिर भी निजी बैंकों के प्रबंध को सभ्य बनाने के लिए विशेष जोर देना होगा।


























