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Sunday, November 9, 2025
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    Election

    आरक्षित सीटों पर है जीत का दारोमदार

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    नक्सल प्रभावित राज्य छत्त...
    SYL Canal

    सद्भावना पूर्वक हो हल

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    बड़ा सवाल क्या भारत चीन को सबक सिखाएगा

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    पूर्वी लद्दाख की गालवान घ...
    Englishman

    प्रेरणास्रोत : एक अंग्रेज ने कहा

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    एक दिन महात्मा बुद्ध घने जंगल में होकर कहीं जा रहे थे। दूर से अंगुलिमार ने उन्हें देख लिया। वह आनन-फानन में जा पहुँचा, उनके पास आकर बोला, ‘‘साधु, जो कुछ भी तुम्हारे पास हो, उसे निकाल दो अन्यथा तुम्हारी जान की खैर नहीं।’’
    Economy

    अर्थव्यवस्था की धीमी होती रफ्तार

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    Changing, Scale, GDP, Crisis, Credibility

    जीडीपी का बदलता पैमाना और विश्वसनीयता का संकट

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    जीडीपी के संशोधित आँकड़ों ...
    Indefinite phase of unemployment

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    प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोद...

    मजदूरों के किराये पर राजनीति, तंग सोच

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    पिछले 40 दिन से प्रवासी मजदूर सरकार से उन्हें घर पहुंचाने की गुहार लगा रहे थे, तभी यह साफ हो जाना चाहिए था कि मजदूरों को बिना किराये घर तक भेजा जाएगा व किराया सरकार की और से कब, कैसे, कौन वहन करेगा ये केन्द्र व राज्य अपने स्तर पर निपटा लेते । जबकि मजदूरों का भाड़ा चुकाने के नाम पर पूरे देश में पूरी राजनीतिक कलाबाजियां हो रही हैं।

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