प्रेरणास्रोत : एक अंग्रेज ने कहा
एक दिन महात्मा बुद्ध घने जंगल में होकर कहीं जा रहे थे। दूर से अंगुलिमार ने उन्हें देख लिया। वह आनन-फानन में जा पहुँचा, उनके पास आकर बोला, ‘‘साधु, जो कुछ भी तुम्हारे पास हो, उसे निकाल दो अन्यथा तुम्हारी जान की खैर नहीं।’’
अर्थव्यवस्था की धीमी होती रफ्तार
इस तरह के योजनाओं और लाभार्थियों की संख्या में वृद्धि करने की आवश्यकता है।
इसी तरह सरकार को आधारभूत संरचना पर भी खर्च में वृद्धि करनी होगी।
मजदूरों के किराये पर राजनीति, तंग सोच
पिछले 40 दिन से प्रवासी मजदूर सरकार से उन्हें घर पहुंचाने की गुहार लगा रहे थे, तभी यह साफ हो जाना चाहिए था कि मजदूरों को बिना किराये घर तक भेजा जाएगा व किराया सरकार की और से कब, कैसे, कौन वहन करेगा ये केन्द्र व राज्य अपने स्तर पर निपटा लेते । जबकि मजदूरों का भाड़ा चुकाने के नाम पर पूरे देश में पूरी राजनीतिक कलाबाजियां हो रही हैं।

























