चुनावों के बाद फूट सकता है महंगाई बम

Inflation Rate

अभी देश के मीडिया व आमजन का पूरा ध्यान पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों की ओर है। खासकर पंजाब व उत्तर प्रदेश के चुनावों को पूरा देश सांस रोक कर देख रहा है। लेकिन इन चुनावों के बाद देश में क्या होने वाला है इस और शायद ही किसी का ध्यान हो। चुनाव बाद अगर आमजन का किसी चीज से वास्ता पड़ने वाला है, तब वह मंहगाई होगी। चूंकि अभी चुनावों के चलते सरकार की मजबूरी कहिये या कुछ और मानों जैसे बाजार को रोककर रखा जा रहा है। चुनाव बाद सर्दी का मौसम भी चला जाना है और बिजली की मांग बढ़ने लगेगी, इतना ही नहीं अगर पंजाब एवं उत्तरप्रदेश में सरकारें केंद्र की भाजपा के मनमाफिक नहीं बनीं तब उक्त राज्यों में जनता पर घरेलू राज्य जीएसटी का भार पड़ेगा या लोगों की समस्याएं जस की तस लटक जाएगीं।

इसके अलावा अंतर्राष्टÑीय स्तर पर इस वक्त यूक्रेनन व रूस के बीच चल रहा तनाव युद्ध में बदलने को है। अगर यूक्रेन व रूस में जंग छिड़ जाती है, तब यूरोप की गैस तेल की आपूर्ति जो अभी रूस से हो रही है वह अरब में स्थान्तरित हो जाएगी नतीजा अरब कच्चे तेल व गैस के दाम बढ़ा देगा। तेल-गैस सप्लाई आज किसी भी देश की ऊर्जा की रीड़ है जिस पर पूरी अर्थव्यवस्था तैरती है, भारत की अस्सी फीसदी तेल-गैस आपूर्ति आयात पर निर्भर है। अभी चन्द रोज पहले तक भारतीय सौ रुपये से भी महंगा तेल खरीद कर अपनी जेबें खाली कर चुके हैं। तेल-गैस के अलावा देश का पर्यटन उद्योग पूरी तरह से बैठा पड़ा है।

पश्चिम में अगर युद्ध के हालात बनते हैं, तब भारत का पर्यटन विदेशी मुद्रा से खाली हाथ रहने वाला है, जिससे देश में बेरोजगारी की समस्या बनी रहने वाली है। पेट्रोलियम, पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में फैली उदासी से रीयल एस्टेट, बीमा व बैंकिंग क्षेत्र में वृद्धि मंद रहने वाली है। सरकार के पास कृषि व उत्पादन क्षेत्र से हालांकि अच्छे संकेत हैं लेकिन इससे 130 करोड़ भारतीयों का गुजारा चलना मुश्किल है। अत: केन्द्र सरकार से भावी बजट में आमजन को राहत की मांग करनी चाहिए भले ही इसके लिए सरकार अपने निर्माण कार्यों या अन्य गैर उत्पादन खर्चाें में कटौती कर तालमेल बिठाए परन्तु चुनावों के बाद आमजन को महंगाई से बचाने के प्रयासों में तेजी लाई जाए।

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