न मंदिर न मस्जिद ना ही चर्च में जाने से होगी।
मेरे मौला.. मेरी ईद तो.. बस तेरे आने से होगी।
अजब सी मस्ती अजब सा खुमार हो जाएगा।
ये पतझड़ का जो मौसम है बहार हो जाएगा।
महक उठेगा रोम रोम शाही खुशबू से,
तेरे दर्शन से दिल गुलो गुलजार हो जाएगा।
बस ….जी भर के तेरी दीद पाने से होगी।
मेरे मौला.. मेरी ईद तो…बस तेरे आने से होगी।

मौला..ठोक के छाती सबको मैंने कहदी है ये बात।
तेरी इक झलक पाने की खातिर उमड़ेगी कायनात।
कोई गाऐगा, कोई नाचेगा, कोई भंगड़े पाएगा,
तेरे स्वागत वाली शहनशाह गजब की होगी रात।
बयां वो खुशी….. ना लिखने बताने से होगी।
मेरे मौला..मेरी ईद तो… बस तेरे आने से होगी।
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“त्रिदेव दुग्गल” तुम बिन ‘मौला’ है इक जिंदा लाश।
जबसे तुम गये हो… सब कुछ लगता है बकवास।
रो रो कर थक चुके नैना अ मुर्शिद…
………कहीं रुक ना जाए तुम बिन हमरी साँस।
तमाम हाल ए दिल अपना तुम्हें बताने से होगी।
मेरे मौला.. मेरी ईद तो.. बस तेरे आने से होगी।
तेरे पाक पवित्र चरणों में लिपट जाने से होगी।
मेरे मौला.. मेरी ईद तो.. बस तेरे आने से होगी।
_____✍️ त्रिदेव दुग्गल
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