‘ईद मुबारक’
सरसा। जब पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने रूहानी सत्संग के माध्यम से ईद के पाक-पवित्र पर्व पर सभी के लिए दुआ करते हुए फरमाया कि ईद मुबारक हो, अल्लाह-ताला रहमत करें, घरों में बरकतें आएं, मालिक रहमोकर्म से नवाजे ये मालिक से दुआ करते हैं और मालिक आपको अपने चरणों में लगाए रखें, खुशियां बख्शता रहे। बहुत-बहुत आशीर्वाद।
राम नाम की चर्चा जीव के लिए नायाब तोहफा: पूज्य गुरु जी
पूज्य गुरु संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि सतगुरु मौला जर्रे-जर्रे, कण-कण में मौजूद हैं। इस संसार में ऐसी कोई भी जगह नहीं, जहां पर वो मालिक मौजूद न हो। लेकिन उसको पाने के लिए सत्संग में आना बहुत जरूरी है। जीव जब तक सत्संग में नहीं आता, तब तक उसको उस परमपिता परमात्मा के बारे में कुछ पता नहीं चलता। जब सत्संग को सुनकर उस पर अमल करेगा तभी से वह उस मालिक के दर्श-दीदार के काबिल बनता चला जाएगा।
पूज्य गुरु जी ने फरमाया कि जब तक इन्सान को यह मालूम नहीं होता कि उसकी मंजिल कौन-सी है, तब तक वह रास्ता कैसे तय कर पाएगा। वह केवल अपनी मंजिल को तय करके ही रास्ता खोज सकता है। उसी तरह जब इन्सान सत्संग में आता है, तभी उसे पता चलता है कि उसकी मंजिल कौन-सी है। जिंदगी का क्या मकसद है? व उसे मनुष्य जन्म क्यों मिला है? आप जी ने फरमाया कि सत्संग में आने से ही इसका रास्ता मिलता है तथा उस रास्ते पर चलते हुए आप अपनी मंजिल तक पहुंच सकते हो। वो मंजिल अल्लाह, वाहेगुरु, मालिक है व उस तक पहुंचने वाला रास्ता गुरुमंत्र है। अगर इन्सान सत्संग को सुनकर उस पर अमल करे तो उसका बेड़ा पार हो जाएगा।
जब तक इन्सान सत्संग नहीं सुनता उसका मन तब तक नहीं मानता, अगर उसने सत्संग सुन लिया तो उसे मानना भी जरूरी है। सत्संग सुनकर उस पर अमल करने से ही इन्सान का बेड़ा पार होगा और परमानंद की प्राप्ति होगी। इसलिए संतों, पीर, फकीरों के वचनों को सुनो व उन पर अमल करना सीखो। सत्संग बेइन्तहां खुशियां देने वाला होता है, लेकिन इसकी खुशियां वही लूट सकते हैं, जो इसे सुनकर उस पर अमल करते हैं।
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