Voting Rate : गिरता मतदान चिंताजनक

Voting Rate

– Voting Rate –

मतदान का गिरता दर (Voting Rate) लोकतन्त्र के लिए सही नहीं हैं। राजनीतिक दलों में भी गिरते मतदान से खलबली मची है। जानकारों का मानना है कि कम मतदान सत्ताधारी दल को नुकसान पहुंचाता हैं लेकिन कुछ का मानना है कि बम्पर वोटिंग सत्ता में बदलाव लेकर आती है। अगर पिछले कुछ चुनावों पर गौर करें तो चार बार मतदान की दर कम हुई तो सत्ता परिवर्तन हुआ और सिर्फ एक बार मतदान में गिरावट पर सत्ता में बदलाव नहीं हुआ।सन् 1980 में मतदान प्रतिशत घटा तो जनता पार्टी की सरकार गई। 1989 में मतदान प्रतिशत गिरने पर कांग्रेस की सरकार हटी। 1991 में फिर मतदान की दर में कमी आई तो विश्वनाथ प्रताप सिंह की सरकार गई। लेकिन 1999 में मतदान कम होने पर सरकार रिपिट हुई।

2004 में फिर मतदान में गिरावट से सत्ता परिवर्तन हुआ यह गणित इस बार कितना सही होगा या नहीं यह कहा नहीं जा सकता लेकिन गिरता वोटिंग परसेंटेज का परिणाम देश व प्रदेश में चल रही राजनीतिक हवा के विरूद्ध होता। पक्ष और विपक्ष दोनों ही कम वोटिंग को अपने-अपने पक्ष में होने का दावा कर रहे हैं लेकिन कम वोटिंग लोकतन्त्र के पक्ष में बिल्कुल नहीं। वोटर को चुनाव के दिन अपने मताधिकार का अवश्य प्रयोग करना चाहिए। अगर कोई भी उम्मीदवार पसन्द नहीं तो भी उन्हें न पसन्द करने का वोटर के पास ‘नोटा’ के रूप में विकल्प है। निसन्देह गिरता मतदान लोकतंत्र के लिए चिंताजनक है।

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