जन-जन को देश की मिट्टी से जोड़ रहा ‘मेरी माटी मेरा देश’ जन अभियान

Meri Mati Mera Desh

हमारे देश की संस्कृति कहती है देश की माटी हमारी मां है। इसी से ही हम बने हैं। देश की माटी से हमारे जुड़ाव को और गहरा बनाया है ‘मेरी माटी मेरा देश’ (‘Meri Mati, Mera Desh’) जन अभियान ने। देश की आजादी 75 साल में देश की जनता को आपस में जोड़ने वाला यह सबसे बड़ा अभियान बन गया है और इसकी सफलता ने ही इसके दूसरे चरण की राह खोली है। देश की आजादी का अमतृ महोत्सव चल रहा हो तो देश के हर नागरिक का उससे जुड़ना ही उसकी सबसे बड़ी सफलता है। देश की मौजूदा सरकार ने इसी दृष्टि से अमृत महोत्सव के तहत ऐसे कार्यक्रम तय किए जिनसे देश के आम लोग सीधे तौर पर और आसानी से जुड़ सकें। ‘Meri Mati, Mera Desh’

यह इस दृष्टि से भी आवश्यक था कि देश का आजादी का अमतृ महोत्सव हमारी अपनी संस्कृति और उपलब्धियों के गौरवशाली इतिहास का जश्न है और जश्न अकेले नहीं मनाए जाते हैं। देश की आजादी का अमृत महोत्सव आधिकारिक तौर पर 12 मार्च 2021 को शुरु हुआ था और इस अवधि में इसके कार्यक्रमों में बड़े पैमाने पर जनभागीदारी देखी गई है। इसके तहत देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ही नहीं बल्कि दुनियाभर में लगभग 2 लाख से अधिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। ‘Meri Mati, Mera Desh’

‘मेरी माटी मेरा देश’ आजादी के अमतृ महोत्सव का अतिंम कार्यक्रम है। वस्तुत: यह कार्यक्रम कोई आयोजन नहीं बल्कि लोगों की भावनाओं की अभिव्यक्ति है। कार्यक्रम को भावनात्मक आधार पर ही तैयार भी किया गया है। इसके दो प्रमुख अंग है- मातृभूमि को श्रद्धांजलि यानी मिट्टी को नमन और देश के बहादुर जवानों और आजादी के मतवालों के बलिदान को याद करना अर्थात वीरो का वदंन। इस जन अभियान को दो चरणों में क्रियान्वित किया जा रहा है।

पहला चरण स्थानीय स्तर पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन है ताकि अभियान से जन-जन जुड़ सके और दूसरा चरण अमृत कलश यात्राओं का है जिसके जरिए प्रदेश की मिट्टी देश की राजधानी दिल्ली पहुंचेगी और इस मिट्टी को अमृत स्मारक व अमृत वाटिका में देश की आजादी के अमृत महोत्सव की चिरस्थायी स्मृति के रूप में संजोया जाएगा।

पहला चरण बना जनता का जश्न

ह्लमेरी माटी मेरा देशह्ल अभियान के पहले चरण में जो कार्यक्रम आयोजित किए गए, उनमें जनता के उत्साह ने यह तो प्रमाणित कर दिया कि देश की जनता के पास यदि कोई सकारात्मक अभियान लेकर पहुंचा जाए तो उसे अपार जनसमर्थन मिलता है। तमाम तरह की व्यक्तिगत चुनौतियों के बावजूद देश का हर व्यक्ति इन कार्यक्रमों में अपनी भागीदारी निभाने को तत्पर रहता है। इस बात को प्रमाणित करते है अभियान के तहत हुए कार्यक्रमों में जनता की भागीदारी के आकंडे, जरा नजर डालिए ।

शिलाफलकम | ‘Meri Mati, Mera Desh’

इसके तहत गाँव, पंचायत, ब्लॉक, कस्बे, शहर, नगरपालिका में स्थानीय बहादुरों के बलिदान की भावना को सलाम करते स्मारक पट्टिकाएं लगाई गई है। शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में बनाए गए थे। देशभर में 2.33 लाख से अधिक शिलाफलकम लगाए जा चुके है। इनमें से अकेले राजस्थान में 10 हजार 587 स्मारक पट्टिकाएं लगाई गई हैं। इन पट्टिकाओं के लोकार्पण समारोह में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी देखी गई। यह वीरों के प्रति आमजन के सम्मान की गहरी प्रतिध्वनि थी।

पंच प्राण प्रतिज्ञा

इस गतिविधि में लोगों ने हाथ में मिट्टी या माटी का दीया लेकर पंच प्राण प्रतिज्ञा ली। यह प्रतिज्ञा देश के प्रति समर्पण की अभिव्यक्ति थी। लोगों को इस गतिविधि की सेल्फी कार्यक्रम की वेबसाइट पर अपलोड करनी थी और जनभागीदारी की स्थिति यह है कि अब तक लगभग 4 करोड़ प्रतिज्ञा सेल्फी वेबसाइट पर अपलोड की जा चुकी हैं। इनमें से 3.16 लाख से ज्यादा राजस्थान की हैं।

वीरों का वदंन | ‘Meri Mati, Mera Desh’

सेना से रिटायर हुए जवानों और वीरों के परिवारों को सम्मानित करना इस अभियान की एक प्रमखु गतिविधि रही है। इनमें सेना ही बल्कि केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों, बल्कि राज्य पुलिस और स्वतंत्रता सेनानियों के परिवार भी शामिल थे। कुछ स्थानों पर यह सम्मान उनके घर जाकर भी किया गया। देशभर में ऐसे दो लाख कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। वहीं राजस्थान की बात करें तो यहां ऐसे 4321 कार्यक्रम किए जा चुके है। राजस्थान तो वैसे भी सेना में सबसे ज्यादा जवान भेजने वाले प्रदेशों में गिना जाता है।

वसुधा वदंन

यह इस अभियान की एक अनूठी गतिविधि रही। माटी से ज़ु़ड़ा कार्यक्रम हो तो पर्यावरण की चिंता स्वाभाविक है और इस गतिविधि को पर्यावरण से ही जोड़ा गया। देशभर में वृक्षारोपण की इस पहल ने आशा, विकास और स्थिरता की नई कहानियों को जन्म दिया। इस गतिविधि के तहत आम व्यक्ति से जुड़कर देशभर में 2.36 करोड़ पौधे रोपे गए और साथ में 2.63 लाख अमृत वाटिकाएँ बनाई गईं।

राजस्थान भले ही रेगिस्तानी प्रदेश है, लेकिन यहां भी कार्यक्रम बेहद सफल रहा और लक्ष्य से अधिक पौधारोपण हुआ। राजस्थान के लिए 8.43 लाख पौधों का लक्ष्य तय किया गया था, जबकि यहां 8.51 लाख से ज्यादा पौधे रोपे गए और 11 हजार 63 अमृत वाटिकाएं बनाई गई। इन पौधों को वीरों और स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया गया है और उनकी याद को एक पेड़ के रूप में चिरस्थायी कर दिया गया। इस तरह मेरी माटी मेरा देश अभियान राजस्थान सहित प्रदेश में जन-जन का अभियान बना।

दूसरा चरण

इस अभियान का दूसरा चरण भी अखिल भारतीय आउटरीच कार्यक्रम के रूप में परिकल्पित किया गया है। इसके तहत देश के हर घर से मिट्टी एकत्रित की जा रही है। जहां मिट्टी नहीं मिलती वहां चावल एकत्र किया जा रहा है और साथ ही अमृत कलश यात्राएं निकाली जा रही हैं। देशभर के छह लाख से अधिक गांवों से एकत्र मिट्टी को ब्लाक स्तर पर लाया जा रहा है। यह कार्यक्रम अभी 30 सितंबर तक चलेगा। इसके बाद एक से 13 अक्टूबर तक ब्लॉक स्तर पर भी यहीं गतिविधि की जाएगी। जब सभी जगहों के कलश एकत्र हो जाएंगे तो 22 से 27 अक्टूबर तक हर राज्य में राज्य स्तर पर एक बड़ा कार्यक्रम होगा और इसके बाद इन अमृत कलशों को एक विशेष ट्रेन से दिल्ली भेजा जाएगा।

राजस्थान से यह ट्रेन 28 अक्टूबर को जायेगी। नेहरू युवा केंद्र के स्वंयसेवक पर उल्लास और उमंग के साथ इन कलशों को दिल्ली लेकर जाएंगे। यहां 30 अक्टूबर को एक भव्य कार्यक्रम होगा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे संबोधित करेंगे। देश की मिट्टी के 8500 से ज्यादा कलश दिल्ली पहुंचाए जाएंगे। इस मिट्टी को अमृत वाटिका और अमतृ स्मारक में रखा जाएगा जो आजादी के अमृत महोत्सव की एक स्थायी विरासत बनेगी। आने वाली इससे प्रेरणा लेंगी और बेहतर समाज और राष्ट्र निर्माण में अपना योगदान देंगी।

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