जो काम नहीं आता, उसे करने का दिखावा नहीं करना चाहिए

Pigeon Story
कबूतर की कहानी

कबूतर का घोंसला

(Pigeon Story) एक बार गौतम बुद्ध शाम के समय कुटिया के बाहर शिष्यों के साथ बैठे थे। तभी वहां एक कबूतर का जोड़ा उड़ता हुआ आ गया। उन्हें देख कर महात्मा बुद्ध को एक कहानी याद आई और उन्होंने शिष्यों को कहानी सुनाना शुरू किया। एक पेड़ पर एक कबूतर और कबूतरी रहते थे। कुछ समय बाद कबूतरी ने उसी पेड़ की टहनी पर तीन अंडे दिए। एक दिन कबूतर और कबूतरी दोपहर के समय खाना ढूंढते हुए कुछ दूर निकल गये। तभी कहीं से एक लोमड़ी आ गई। वह भी भोजन की तलाश में पेड़ पर चढ़ी। जहां उसे कबूतर के अंडे मिल गये और वो अंडों को खा गई।

जब कबूतर का जोड़ा वापस आया तो अंडे न पा कर बहुत परेशान हो गया। दोनों को बहुत बुरा लग रहा था। उनका मन टूट सा गया। तभी कबूतर ने निश्चय किया कि अब वह घोंसला बनाएगा। ताकि फिर कभी उसके अंडे कोई न खा जाए। कबूतर ने अपने निर्णय अनुसार तिनके इकट्ठे करके घोंसला बनाना शुरू किया। पर उसे एहसास हुआ कि उसे तो घोंसला बनाना आता ही नहीं है। तब उसने मदद के लिए जंगल के दूसरे पक्षियों को बुलाया। सभी पक्षी उसकी मदद के लिए आ गए और उन्होंने कबूतर के लिए घोंसला बनाना शुरू किया। पक्षियों ने अभी कबूतर को सिखाना शुरू ही किया था कि कबूतर ने बोला कि अब वो घोंसला बना लेगा। उसने सब सीख लिया है। सभी पक्षी यह सुन कर वापस चले गए।

अब कबूतर ने घोंसला बनाना शुरू किया। उसने एक तिनका इधर रखा एक तिनका उधर। उसे समझ आया कि वह अभी भी कुछ नहीं सीखा है। उसने फिर से पक्षियों को बुलाया। पक्षियों ने आकर फिर घोंसला बनाना शुरू किया। अभी आधा घोंसला बना ही था कि कबूतर जोर से चिल्लाया, तुम सब छोड़ दो अब मैं समझ गया हूं यह कैसे बनेगा। इस बार पक्षियों को बहुत गुस्सा आया। सारे पक्षी तिनके वहीं छोड़ कर चले गये। कबूतर ने फिर कोशिश की पर उस से घोंसला नहीं बना। कबूतर ने तीसरी बार पक्षियों को बुलाया, लेकिन इस बार एक भी पक्षी मदद के लिए नहीं आया और आज तक कबूतर को घोंसला बनाना नहीं आया।

कहानी से सीख | Pigeon Story

गौतम बुद्ध जी की इस कहानी ने बताया कि हमें जो काम नहीं आता हो, उसे किसी की मदद से पूरी तरह सीख लेना चाहिए। जो काम नहीं आता हो उसे जबरदस्ती करने का दिखावा नहीं करना चाहिए, क्योंकि मदद करने वाला व्यक्ति एक या दो बार तो आपकी मदद करेगा, लेकिन हर बार नहीं। इसलिए, किसी की मदद का सम्मान करते हुए वह काम पूरी निष्ठा के साथ सीखना चाहिए।

यह भी पढ़ें:– Costly food Item: बात पते की, चीज ये लाख टके की! दाम नहीं हैं कम, रहती महंगी हरदम!