नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। कांग्रेस ने कहा है कि जासूसी के लिए पेगासस में सरकार ने जनता के पैसे का दुरुपयोग कर संसद में इसकी गलत जानकारी दी है लेकिन अब असलियत सामने आ गई है और सरकार को अब जवाब देना पड़ेगा। राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे तथा कांग्रेस संचार विभाग के प्रमुख रणदीप सिंह सुरजेवाला ने शनिवार को यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा कि पेगासस जासूसी मामले में सरकार ने जिस तरह से जनता के पैसे की बर्बादी की है वह देशद्रोह है।
इसके जरिए सरकार ने देश में राजनेताओं, न्यायाधीशों, पत्रकारों तथा अन्य लोगों की जासूसी की है। उन्होंने इसे गंभीर अपराध बताते हुए देश की जनता के साथ धोखा करार दिया और कहा कि मामले की व्यापक स्तर पर जांच होनी चाहिए। उनका कहना था कि कांग्रेस संसद में इस मामले मे सरकार से जवाब मांगेगी और इसको लेकर संसद में स्पष्टीकरण देना होगा। सुरजेवाला ने कहा कि सरकार ने यह तकनीक इजरायल से 2017 में खरीदी थी और इसके कारण राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद का बजट उस दौरान 33 करोड़ से बढ़कर 333 करोड़ रुपये तक पहुंच गया था। उनका कहना था कि इसका इस्तेमाल मोबाइल फोन पर भी किया गया जिसके जरिये जासूसी करने के लिए व्यक्ति की गतिविधियों का पूरा विवरण सरकार के पास पहुंचा।
क्या है मामला:
बता दें कि भले ही न्यूयॉर्क टाइम्स इस बात का दावा कर रहा है कि साल 2017 में हुए 17 हजार करोड़ के रक्षा सौदे में पेगासस सॉफ्टवेयर की खरीद भी शामिल हो लेकिन पिछले साल रक्षा मंत्रालय ने संसद में ऐसी किसे भी सौदे से इनकार कर दिया था। पिछले साल यानी सितंबर 2051 में पेगासस जासूसी कांड में पहली बार सरकार ने आधिकारिक तौर से संसद में बयान देकर साफ किया था कि इस ऐप को बनाने वाली कंपनी एनएसओ से कोई लेनदेन नहीं किया गया है। हालांकि, ये बयान सिर्फ रक्षा मंत्रालय की तरफ से दिया गया था, जबकि देश की बड़ी खुफिया एजेंसियां गृह मंत्रालय और पीएमओ के अंतर्गत भी आती हैं।
क्या है दावा:
- भारत सरकार ने 2017 में इजराइली कंपनी एनएसओ ग्रुप से जासूसी सॉफ्टवेयर पेगासस खरीदा था।
- इस सॉफ्टवेयर को 5 वर्ष पहले की गई 2 बिलियन डॉलर की डिफेंस डील में खरीदा गया था।
- इसी डील में भारत ने एक मिसाइल सिस्टम और कुछ हथियार भी खरीदे थे।
- अमेरिकी जांच एजेंसी फेडरल ब्यूरो आॅफ इन्वेस्टिगेशन एफबीआई ने भी यह सॉफ्टवेयर खरीदा था
- एफबीआई ने निगरानी के लिए सालों इसकी टेस्टिंग की, लेकिन पिछले वर्ष इसका इस्तेमाल नहीं करने का फैसला किया।
पिछले एक वर्ष से सुप्रीम कोर्ट की कमेटी कर रही है जांच
सुप्रीम कोर्ट ने इजरायली स्पाईवेयर ‘पेगासस’ के जरिए भारतीय नागरिकों की कथित जासूसी के मामले की जांच के लिए पिछले साल अक्टूबर में विशेषज्ञों की एक समिति का गठन किया था। कुछ अंतरराष्ट्रीय मीडिया समूहों के एक संगठन ने दावा किया था कि कई भारतीय नेताओं, मंत्रियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, कारोबारियों और पत्रकारों के खिलाफ पेगासस का कथित तौर पर इस्तेमाल किया गया है।
राहुल गांधी, स्मृति ईरानी समेत अन्य नेताओं पर हुई जासूसी
सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार ने पेगासस जासूसी का इस्तेमाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, उनके कार्यालय में काम करने वाले कर्मचारियों, पूर्व प्रधानमंत्री एच डी. देवगौड़ा, कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया, कुमारास्वामी, भाजपा की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, भाजपा के कैबिनेट मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल, उनकी पत्नी और उनके कार्यालय के सदस्यों के साथ ही सूचना तकनीकी मंत्री अश्विनी वैष्णव तथा उनकी पत्नी, उनके ओएसडी, श्रीमती स्मृति ईरानी, उनके कार्यालय के सदस्यों के साथ ही पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी, विश्व हिंदू परिषद के नेता प्रवीण तोगड़िया सहित कई अन्य के खिलाफ किया है।
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