दो जहां में तुझसा हसीन नहीं है | Saint dr Msg

दो जहां में तुझसा हुश्न नहीं है।
तेरी महफिल जैसा, जश्न नहीं है।


तू ही तो मेरी मंजिले, मकसूद है।
तुझसे अलग हमारा कोई मिशन नहीं है।


ये बहारें खिलती हैं तुम्हारी मुस्कुराहटों से।
करोड़ों हार्टबीट बढ़ जाती है कदमों की आहटों से।

तुझे बाहों में भरने की हट लिए,
बैठे हैं करोड़ों जिद्दी दिल।
जो तड़प रहे हैं बस तुम्हारी चाहतों से।

“संजय बघियाड़ “

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