सेवा-सुमिरन को गहना बना लो
जो लोग सेवा-सुमिरन को गहने बना लेते हैं, अमल करते हैं, मालिक उन पर अपनी दया-मेहर जरूर करता है। इस घोर कलियुग में सेवा करना बड़ा ही मुश्किल है। कोई भागों वाले जीव होते हैं जो सेवा करते हैं। सेवा के साथ-साथ सुमिरन, भक्ति-इबादत की जाए तो किसी भी चीज की कमी नहीं रहती।
सत्संगी के अनमोल गहने हैं सेवा और सुमिरन
सेवा और सुमिरन दो ऐसे गहने हैं जो भी मनुष्य इन्हें पहन लेता है, जीते-जी उसके सभी गम, चिंता, परेशानियां दूर हो जाती हैं , और मरणोपरांत आवागमन का चक्कर जड़ से खत्म हो जाता है।
राम-नाम से महक उठता है जीवन
मालिक के नाम से पतझड़ में भी बहार आ जाती है। मालिक के नाम से मुरझाई कलियां खिल जाती हैं। मालिक के नाम से सदियों से बिछड़ी आत्मा मालिक से मिलने के काबिल बन जाती है।
हिम्मत के साथ मन से लड़ते रहो
लेकिन मन ऐसा जादूगर योद्धा है, जो थकता नहीं है। इसलिए ऐसा नहीं है कि आपके पांच मिनट के सुमिरन से मन काबू आ जाएगा। अत: आप भी हिम्मत वाले बन जाओ कि जब मन शुरु होगा तो मैं भी शुरु हो जाऊंगा। तो यकीन मानिए कि बुरे विचारों का लेश मात्र भी असर आपकी भक्ति पर या आपकी जिंदगी पर नहीं आएगा।
खुदगर्ज हैं ज्यादातर दुनियावी रिश्ते-नाते
दुनिया में ज्यादातर रिश्ते-नाते खुदगर्ज हैं। जब तक मतलब होता है तो हर कोई प्यार से बातें करता है और जैसे ही मतलब निकल जाता है तो तू कौन, मैं कौन? इस घोर कलियुग के स्वार्थी रिश्तों में अगर कोई दोनों जहान में साथ देने वाला है तो वो अल्लाह, वाहेगुरु, राम है।
सच्ची भावना से नजर आता है भगवान
कभी भी बुरा कर्म न करो, न ही बुरी सोच रखो। सत्संग का दायरा ऐसा जबरदस्त होता है, अगर एक शिक्षार्थी की तरह आओ तो ऐसी शिक्षा लेकर जाओगे, जिससे आप ही नहीं आपकी कुलों का उद्धार हो जाएगा। वहीं अगर आप बुरी सोच रखते हैं तो कुलों पर भी असर लाजमी पड़ता है।