मनुष्य जन्म का लाभ उठाएं: पूज्य गुरु जी

Take advantage of human birth Pujya Guru Ji
सरसा। पूज्य हजूर पिता संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां फरमाते हैं कि मनुष्य जन्म सर्वोत्तम जन्म है। इसमें जीवात्मा परमानन्द की हकदार होती है और क्षणिक या पलभर नहीं, बल्कि स्थायी परमानन्द प्राप्त कर सकती है। यदि इन्सान अपने मनुष्य जन्म को उस आनन्द, परमानन्द के बिना गुजार रहा है तो एक तरह से समय बर्बाद हो रहा है और समुद्र के किनारे होते हुए भी प्यासा है, क्योंकि मनुष्य शरीर ऐसा किनारा मिल गया जो अल्लाह, वाहेगुरु, राम रूपी समुद्र को आत्मा के करीब ले आया है।
पूज्य गुरु जी फरमाते हैं कि आप सुमिरन करें, अंजुलि भरें ताकि समुद्र से पानी पीया जाए। वरना पानी नहीं पीया जा सकता है। उसी तरह आप अल्लाह, वाहेगुरु, गॉड, खुदा, रब्ब की भक्ति, उसकी दया-मेहर, रहमत के काबिल जो शरीर को हासिल कर चुके हैं इसमें राम-नाम का जाप करो, मालिक की भक्ति-इबादत से अंजुलि भरो ताकि जन्मों-जन्मों के पाप कट जाएं, आवागमन से निजात मिल जाए और आप मालिक की दया-मेहर, रहमत के काबिल बन जाएं।
आप जी फरमाते हैं कि आप क्यों पल-पल गम, चिंता, टेंशन में जिंदगी गुजारते हैं? समय को क्यों बर्बाद कर रहे रहो? इन्सान गम, दु:ख-दर्द में मृत:प्राय हो जाता है और जब सुख मिलता है तो कुछ राहत मिलती है। तो क्यों न यह रोज-रोज का मरना, गम, चिंता, परेशानियों में तड़पना खत्म कर लिया जाए। क्या ऐसा सम्भव है कि लगातार परमानन्द, लज्जत, खुशियां मिले। गम, चिंता न हो। ऐसा जीवन हो जिसमें बहार हो, पतझड़ न हो, दोनों जहानों की खुशियां हों और कोई गम, चिंता न घेरे। ऐसा जीवन सम्भव है अगर लगातार राम का नाम लिया जाए, सत्संग सुन कर अमल किया जाए और सेवा-सुमिरन पर ध्यान दिया जाए। मेहनत, हक-हलाल की रोजी-रोटी खाई जाए, किसी के काम में दखलांदाजी न की जाए। आप अपना नेक काम करते रहें। सबका भला करो, सुमिरन करो, भला सोचो तो यकीनन आपका आने वाला समय बड़ा ही सुखद हो जाएगा, बड़ी ही शांति लेकर आएगा।

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