राम-नाम के बिना जीवन व्यर्थ
मालिक के नाम के बिना जीवन व्यर्थ है। मालिक के नाम से ही जीवन की कद्र-कीमत पड़ती है और आत्मा आवागमन से आजाद होती है। मनुष्य जन्म सदियों के बाद, युगों के बाद आत्मा को मिलता है। इस मनुष्य जन्म में अगर जीव नाम जपे, अल्लाह, वाहेगुरु का शुक्राना करे तो जन्मों-जन्मों के पाप-कर्म कट जाया करते हैं।
सत्संगी के अनमोल गहने हैं सेवा और सुमिरन
सेवा और सुमिरन दो ऐसे गहने हैं जो भी मनुष्य इन्हें पहन लेता है, जीते-जी उसके सभी गम, चिंता, परेशानियां दूर हो जाती हैं , और मरणोपरांत आवागमन का चक्कर जड़ से खत्म हो जाता है।
पूजनीय सतगुरु जी अचानक तेरावास से बाहर निकलते ही ऊंची आवाज में बोले, ‘बच्चा डिग्गी में गिर गया, उसे बाहर निकालो…
प्रेमी मान सिंह इन्सां पु...
MSG Bhandara : गर्मी प्रचंड, श्रद्धा अखंड! दूर-दूर तक साध-संगत ही साध-संगत
साध-संगत ने दुनियाभर में ...