नई दिल्ली (सच कहूँ डेस्क)। वीरवार को नांबी नारायणन से जुड़े जासूसी मामले में गलती करने वाले पुलिस अधिकारियों की भूमिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। न्यायमूर्ति ए.एम. खानविल्कर की अध्यक्षता वाली पीठ ने केन्द्र की अर्जी और शीर्ष अदाल के न्यायाधीश डी.के. जैने की अध्यक्षता वाले 3 सदस्यीय पैनल की रिपोर्ट पर विचार किया और सीबीआई जांच के आदेश दिए। केन्द्र सरकार ने 5 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी देकर मामले को राष्ट्रीय मुद्दा बताते हुए पैनल की रिपोर्ट पर तत्काल सुनवाई करने का अनुरोध किया था। गौरतलब है कि 1994 जासूसी मामले में इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नांबी नारायणन बरी हो गए थे।
जानें, इस केस में कब क्या हुआ था
- नवंबर 1994 में गिरफ्तारी के बाद दिसम्बर को जांच सीबीआई को सौंपी थी।
- पुलिस और बाद में सीबीआई मामले की जांच में कोई सबूत नहीं खोज पाई थी।
- 50 दिनों की कैद के बाद नारायणन को जनवरी 1995 में जमानत मिली थी।
- अप्रैल 1996 में सीबीआई ने केस बंद करने का अनुरोध किया था
- मई 1996 में मजिस्ट्रेट अदालत ने मामला खारिज कर सभी को बरी किया।
- 1996 में माकपा सरकार ने मामले पर दोबारा जांच शुरू करने की पहल की थी।
- 1998 में सुप्रीम कोर्ट ने मामला रद्द कर सभी को छोड़ दिया था।
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