Nuh Violence: धार्मिक उन्माद नहीं, भाईचारा कायम हो

Nuh Violence
धार्मिक उन्माद नहीं, भाईचारा कायम हो

Nuh Violence: संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और यही शिक्षा धर्मों की है कि हमें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए यानी सर्व धर्मसंगम होना चाहिए। लेकिन सदियों से ही भारत देश में धार्मिक उन्माद फैलते रहे हैं। इससे सिवाय नुकसान के फायदा कभी भी नहीं हुआ। मुगल काल से लेकर अब तक के इतिहास के पन्नों को उकेरा जाए तो साफ तौर पर पता चलता है कि हमेशा धर्म के नाम पर राजनीति होती रही है। भारत में हमेशा से ही दुनिया के सभी धर्मों के लोग निवास करते हैं और सभी की अपने-अपने धर्मों में आस्था है। धर्म के नाम पर उन्माद पुरात्तन काल से होते आ रहे हैं। हमारा देश एक स्वतंत्र राष्ट्र है, लेकिन धर्म के नाम पर धार्मिक उन्माद का बीज भारत की स्वतंत्रता के साथ ही बोया गया था, जो अब एक वट वृक्ष बन चुका है।

गौर से सोचने की बात है अपने-अपने धर्म को लेकर सभी कट्टरवादी होते हैं। लेकिन इस कट्टरवाद के बीच जान-माल की हानि नहीं होनी चाहिए। भारत देश में अकेले हिंदू और मुस्लिम ही नहीं बल्कि अन्य विभिन्न धर्मों के लोग आपस में मिल जुलकर रहते आए हैं। पर कुछ समय बीतने के बाद फिर एक धार्मिक उन्माद का ऐसा तूफान खड़ा होता है कि इसे रोकना मुश्किल हो जाता है। मौसमी तूफान तो आता है और अपनी तबाही मचाने के बाद चला भी जाता है। लेकिन जब-जब धार्मिक उन्माद रूपी तूफान समाज में फैलता है तो पूरे समाज में चिंता की लकीरें खींची जाती हैं।

हरियाणा के नूंह में विश्व हिंदू परिषद की ब्रजमंडल यात्रा कोई नई नहीं है। दरअसल, प्रत्येक वर्ष हिंदू धर्म के लोगों के द्वारा यह ब्रजमंडल यात्रा मेवात जिले में निकाली जाती है। एहतियात के तौर पर हर बार सुरक्षा व्यवस्था भी तैनात रहती है। लेकिन इस बार ब्रजमंडल यात्रा के दौरान जो धार्मिक उन्माद हुआ, वह एक तरफ जहां बहुत ही शर्मनाक है वहीं दूसरी ओर विकास के पथ पर पहले ही पीछे चल रहे मेवात के लिए भी शुभ संकेत नहीं है।

माना कि इस जिले में मुस्लिम समाज के लोगों की बहुतायत है, लेकिन किसी भी धर्म के लोगों को कमजोर नहीं समझना चाहिए, उनका अपमान नहीं करना चाहिए। यह सोच कर कि यह कार्यक्रम किसी एक धर्म या समाज का है, पथराव नहीं करना चाहिए। यहां तो पता ही नहीं बल्कि दर्जनों वाहनों में आगजनी यहां तक की पुलिस थानों को भी अपने चपेट में ले लिया गया। इतना ही नहीं देखते ही देखते धार्मिक उन्माद की इन लपटों ने मेवात के साथ लगते जिले फरीदाबाद, पलवल व गुरुग्राम को भी अपनी चपेट में ले लिया। गुरुग्राम के सेक्टर 57 में स्थित एक धार्मिक स्थल पर देर रात आगजनी की घटना हुई। इस घटना में भी एक व्यक्ति की मौत हुई।

घटना को अंजाम देने वाले असामाजिक तत्वों को आखिर मिला क्या यह सोचने की बात है? सिर्फ लोगों का ध्यान जरूर भटका है। हरियाणा सरकार की मांग पर इस उपद्रव को काबू में करने के लिए केंद्र को पैरामिलिट्री फोर्स की 20 कंपनियों को तैनात कर दिया गया है, जो स्थिति को नियंत्रित करने में जुटी हुई है। इसके अलावा मेवात सहित आसपास के जिलों की पुलिस को भी तैनात किया गया है। धर्म के नाम पर हुए इस उपद्रव को बेकाबू होते देख मेवात के जिलाधीश को दो दिनों के लिए कर्फ्यू तक लगाना पड़ा उसके बावजूद भी यहां स्थिति तनावपूर्ण बनी हुई है। इसे पहले की साजिश कहें तो भी कोई बड़ी बात नहीं है। क्योंकि जो लोग पथराव करते नजर आ रहे हैं उनकी छतों पर भी पत्थरों का स्टॉक है।

इस बड़ी घटना के पीछे प्रदेश की खुफिया एजेंसियों की भी लापरवाही नजर आ रही है। क्योंकि जब भी किसी संवेदनशील स्थान पर इस तरह का कोई कार्यक्रम आयोजित किया जाता है तो सबसे पहले प्रदेश सरकार का गृह मंत्रालय खुफिया एजेंसियों से फीडबैक लेता है। इसी फीडबैक के आधार पर कार्यक्रम करने की इजाजत दी जाती है। अपनी रोजी-रोटी के लिए चौक-चौराहों पर खड़े रहने वाले होमगार्ड जवानों को भी नहीं बख्शा गया। इस घटना में दो होमगार्ड जवानों सहित अब तक 4 लोगों की मौत हो चुकी है। अब जान गंवाने वालों का कभी भी धर्म नहीं देखा जाता, क्योंकि वह अपना कर्तव्य निर्वहन कर रहे थे। लेकिन इस पूरे मामले में कट्टरवाद भारी दिखाई दिया। इस कट्टरवाद का ही यह परिणाम रहा कि मेवात आज जल रहा है। पूरे देश के दो धर्मों के लोग दो धड़ो में बैठकर इस पूरी घटना को अपने-अपने नजरिए से देख रहे हैं।

ब्रज मंडल यात्रा के दौरान घटना को अंजाम देने वाले लोगों को हिंदू या मुस्लमान के नजरिए से नहीं देखा जाना चाहिए। क्योंकि जिन्होंने भी ये उपद्रव किया है, उनको केवल उपद्रवी मानकर सलाखों के पीछे भेजा जाना चाहिए, ताकि कभी भी किसी भी धर्म की जब कोई यात्रा हो या किसी भी प्रकार का समागम हो तब इस तरह का उपद्रव ना फैले। यह घटना मात्र असामाजिक तत्व उपद्रवियों की है। जबकि अब यह दो धर्म हिंदू और मुस्लिम के बीच बंटकर रह गई है। घटना हरियाणा के मेवात जिले में हुई जबकि इसकी आंच बाकी जिलों में भी पहुंचनी शुरू हो गई है।

सरकारी तौर पर तुरंत कार्रवाई करते हुए यहां धर्म से ऊपर उठकर देखने वाले अधिकारियों की तैनाती करनी चाहिए, ताकि तुरंत प्रभाव से इस मामले को निपटाया जा सके। ब्रजमंडल यात्रा के दौरान जो भी घटना घटी वह निंदनीय है। ऐसा एक सभ्य समाज के लिए बिल्कुल भी अच्छा नहीं माना जाता। सोचने की बात है कि यात्रा निकालने वाले उपद्रव करने वाले आपस में झगड़ रहे हैं। लेकिन उनके बीच करीब 2000 लोग बिना किसी कसूर के चक्की के दो पाटों की तरह बीच में पीस रहे हैं। किसी हिंदू मंदिर में महिलाएं फंसी हुई है तो कहीं मुस्लिम समुदाय भी। शुरूआत में जहां यह एक मामूली झगड़ा लग रहा था लेकिन देखते ही देखते इस घटना ने एक उपद्रव का रूप धारण कर लिया।

देर रात होते होते तो यह धार्मिक उन्माद ऐसा फैला कि हरियाणा सरकार के साथ-साथ केंद्र सरकार को भी इस मामले में हस्तक्षेप कर पैरामिलिट्री फोरसिज को एयरड्राप पर करना पड़ा। ऐसा हमारा हरियाणा नहीं है। कभी नहीं सोचा था हरियाणा प्रदेश में हिंदू मुस्लिम के बीच ऐसा दंगा भी होगा। हमारा यही कहना है कि धर्म के नाम पर कभी भी राजनीति नहीं होनी चाहिए, बल्कि राजनीति में धर्म का होना बहुत जरूरी है। यानी राजनीति में आने वाले लोगों को अपने धर्म व कर्तव्यों के बारे में साफ तौर पर पता होना चाहिए। तभी हमारा देश सभी धर्मों को एक साथ लेकर आगे बढ़ सकता है। (यह लेखक के अपने विचार हैं)

डॉ. संदीप सिंहमार, वरिष्ठ लेखक एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार

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