पावन वचनानुसार धन्ना राम के गांव लालपुरा में कभी सूखा नहीं पड़ा!

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यह डेरा सरसा से लगभग 64 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। सन् 1951 की बात है। चौधरी धन्ना राम गोदारा, गांव लालपुरा ने किसी से सुना कि सरसा के एक डेरे में एक पहुंचा हुआ फकीर है जो मालिक का ही रूप है। उसके दर्शन करने से किसी चीज की इच्छा ही नहीं रहती। धन्ना राम ने अपने मन में फैसला कर लिया कि मैं ऐसे फकीर के दर्शन कल ही करूंगा। धन्ना राम अपने गांव से पैदल चलकर शाह मस्ताना जी धाम के सामने पहुंच गया। उस समय डेरे के चारों तरफ कांटेदार बाड़ लगी हुई थी, केवल एक ही दीवार थी। अंदर जाने के सभी रास्ते बंद थे, क्योंकि दीवार से सीढी लगाकर ही अंदर और बाहर जाया जाता था। Source of Inspiration

धन्ना राम अंदर जाना चाहता था, परंतु एक सेवादार ने उसे रोक लिया। लेकिन बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के दर्शन की तीव्र इच्छा के कारण सेवादारों की भी एक न चली। जैसे ही धन्ना राम ने अंदर प्रवेश किया तो सामने बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज सामने खड़े थे। आप जी ने उससे पूछा कि तू कैसे आया तो धन्ना राम ने कहा भगवान को मिलने आया हूूं। बेपरवाह जी बहुत ही खुश हुए और कहा कि कोई तो आया भगवान से मिलने वाला। आज तक सभी माया वाले ही मिले।

‘‘धन्ना राम ने मालिक को खुश कर लिया, धन्ना राम बरसात ले गया।’’

धन्ना राम वहां आश्रम में सेवा पर लग गया और शहनशाह जी से नाम-दान प्राप्त कर लिया। धन्ना राम अपने गांव लालपुरा में गया और वहां अपने घर से दो क्विंटल बाजरी ऊंट पर लादकर ले आया। उसने बाजरी को अपने हाथों से चक्की में पीस-पीसकर साध-संगत को भोजन करवाया। शहनशाह जी उस पर बहुत खुश हुए। एक बार उसके गांव में वर्षा न होने के कारण सूखा पड़ा हुुआ था। उसकी तड़प को देखते हुए बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज ने उसको बिना मांगें वचन किए, ‘‘धन्ना राम ने मालिक को खुश कर लिया, धन्ना राम बरसात ले गया।’’

कुल मालिक पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के पावन वचनानुसार धन्ना राम के गांव के क्षेत्र में उसके बाद से कभी सूखा नहीं पड़ा। भगत धन्ना राम द्वारा अर्ज करने पर शहनशाह जी सन् 1956 में गांव लालपुरा पधारे। इस गांव में आप जी दो महीने तक रहे। दिन में आसपास के गांवों में सत्संग कर आप जी फिर उसके घर आ जाते। आप जी ने फरमाया, ‘‘धन्ना राम के घर और डेरे में कोई फर्क नहीं हैं।’’ इस समय के दौरान धन्ना राम तथा साध-संगत के आग्रह करने पर आप जी ने इस गांव में डेरा बनाना मंजूर कर लिया। Source of Inspiration

अंतरयामी दातार जी ने फरमाया, ‘‘पुट्टर! डेरा आपके गांव में जरूर बनेगा

एक बार गांव ननेऊ में बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज का सत्संग था। सत्संग की समाप्ति के बाद नाम लेने वाले लोगों को इक्ट्ठा किया गया। रात का समय था। शहनशाह मस्ताना जी महाराज जब नाम देने लगे तो उनमें से एक आदमी को खड़ा कर दिया गया। सच्चे पातशाह ने उससे पूछा,‘‘मांस कब खाया?’’ वह बोला कि बाबा जी! दिन को ठाकुरों के घर खाया था।

शहनशाह जी बोले, ‘‘आठ दिन पलीती यानि बदबू नहीं जाएगी। आठ दिनों के बाद बात करेंगे।’’ उसे नाम लेने वालों में से बाहर निकाल दिया गया। गांव के भगत धन्ना राम, पतराम और ख्याली राम ने एक दिन शहनशाह शाह मस्ताना जी महाराज के आगे प्रार्थना की कि साईं जी ! हमारे गांव में डेरा जरूर बनाओ जी। इस पर अंतरयामी दातार जी ने फरमाया, ‘‘पुट्टर! डेरा आपके गांव में जरूर बनेगा, लेकिन समय लगेगा। भजन-सुमिरन करो।’’ Source of Inspiration

‘‘पूजनीय बेपरवाह साईं शाह मस्ताना जी महाराज के पावन वचनों अनुसार पूजनीय परमपिता शाह सतनाम जी महाराज ने गांव लालपुरा में डेरा सच्चा सौदा का एक दरबार स्थापित कर दिया व इसका नाम ‘अनामी धाम’ रख दिया। यह डेरा 60 कनाल जमीन में बना हुआ है। इसमें दो कमरे, एक तेरावास व पानी के लिए एक तालाब बनाया गया है। डेरे के चारों तरफ कंटीली झाड़ियों की बाड़ की गई है।

लेकिन सतगुरू ने अपनी दया-मेहर के साथ डेरा बनवा ही लिया

पूजनीय परमपिता जी ने डेरे की संभाल के लिए सत् ब्रह्मचारी सेवादारों की ड्यूटी लगा दी। इसके बाद साध-संगत की सुख-सुविधा के लिए डेरे के भवनों का और विस्तार किया गया। दो कमरे, एक बड़ा हॉल, एक चोबारा, उसके आगे बरामदा, सीढ़ियां व पानी के लिए डिग्गी बनाई गई। एक बार पूजनीय परमपिता जी ने जबरदस्त रूहानी सत्संग फरमाया। अधिकारी लोगों को राम-नाम से जोड़कर भवसागर से पार किया। पूजनीय परमपिता जी ने वचन फरमाए, ‘‘भाई! काल ने झगड़ा तो बहुत किया, लेकिन सतगुरू ने अपनी दया-मेहर के साथ डेरा बनवा ही लिया। यह बहुत ही अच्छा काम हुआ।’’ Source of Inspiration

सन् 1996 में पूज्य गुरू संत डॉ. गुरमीत राम रहीम सिंह जी इन्सां ने लालपुरा डेरे में पवित्र चरण कमल टिकाए। लालपुरा की साध-संगत ने सतगुरू जी के खूब दर्शन किए व अपना जन्म सफल किया। फिर सेवादार जय नारायण ने सच्चे पातशाह जी के सामने अर्ज की कि शहनशाह जी! यहां कांटों की बाड़ है। कृप्या दीवार ऊंची बनवा दो। सच्चे पातशाह जी के हुक्मानुसार फ ट्टियों के साथ कच्ची दीवार तैयार की गई। डेरा सच्चा सौदा अनामी धाम लालपुरा में नियमित नामचर्चा होती है व साध-संगत द्वारा अपने सतगुरू का गुणगान किया जाता है।

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