युवा मांगें रोजगार, चुप क्यों है सरकार : दीपेंद्र हुड्डा

Youth demands employment, why government is silent Dependra Hooda

बेरोजगारी को लेकर सामने आए सीएमआईई, लिंक्डइन और स्कॉच ग्रुप के आंकड़ों पर जताई चिंता

अश्वनी चावला चंडीगढ़। राज्यसभा सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने बेरोजगारी को लेकर सामने आए अलग-अलग संस्थाओं के आंकड़ों पर गहरी चिंता जाहिर की है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के आंकड़े बताते हैं कि देश में अप्रैल से जुलाई तक 1.89 करोड़ वेतनभोगी अपनी नौकरी गंवा चुके हैं। देश में नौकरी ढूंढने वालों की तादाद लगातार बढ़ती जा रही है। प्रोफेशनल नेटवर्किंग सोशल मीडिया साइट लिंक्डइन ने बताया है कि पिछले 6 महीने के दौरान भारत में हर सेक्टर की जॉब सर्च करने वालों की संख्या दोगुनी से अधिक बढ़ी है, चाहे वो मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की जॉब हो या सर्विस सेक्टर की। कंपनी ने कहा कि उसके प्लेटफॉर्म पर पोस्ट की गई हरेक जॉब ओपनिंग के लिए इस साल जनवरी में अप्लाई करने वाले लोगों की औसत संख्या 90 से कम थी। लेकिन जून में औसतन 180 लोगों ने एक जॉब ओपनिंग के लिए आवेदन किया। स्कॉच ग्रुप समेत 4 संस्थाओं ने तो और भी डराने वाले आंकड़े पेश किए हैं। स्कॉच ग्रुप के चेयरमैन समीर कोचर ने बताया है कि अब तक 3 करोड़ लोग कोरोना काल के दौरान अपना रोजगार गवा चुके हैं। आने वाले दिनों में आंकड़ा 4 करोड़ तक पहुंचने वाला है। 4 करोड़ नौकरी जाने का मतलब है कि करीब 20 करोड़ लोगों के सामने रोजी-रोटी का संकट है।

चेतावनी के बावजूद नहीं जाग रहे

राज्यसभा सांसद का कहना है कि पूरे देश के मुकाबले हरियाणा में हालात और बदत्तर हैं। बार-बार चेतावनी के बावजूद खट्टर सरकार जागने का नाम नहीं ले रही है। सीएमआईई के आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा लगातार कई महीने से बेरोजगारी में टॉप कर रहा है। यूपी, बिहार, जम्मू-कश्मीर जैसे राज्य भी आज हरियाणा से बेहतर स्थिति में हैं। कोरोना काल से पहले और लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी हालात जस के तस बने हुए हैं।

नया निवेश लाने में नाकाम

पिछले 6 साल के दौरान प्राइवेट सेक्टर में किसी तरह का निवेश नहीं उन्होंने कहा कि जो हरियाणा हुड्डा कार्यकाल के दौरान अपने युवाओं के साथ दूसरे राज्य के युवाओं को भी रोजगार देता था, वो आज खुद रिकॉर्ड बेरोजगारी की मार झेल रहा है। नहीं हो पाया। कोई बड़ी परियोजना, संस्थान या इंफ्रास्ट्रक्चर 6 साल के दौरान हरियाणा में नहीं आया। इसके उलट पहले से प्रस्तावित रेल कोच और एयरपोर्ट जैसी परियोजनाएं हरियाणा से छिन गई । कानून व्यवस्था बद से बदतर हो गई। इसके चलते उद्योगपतियों ने हरियाणा से मुंह फेर लिया। यानी खट्टर सरकार की ‘कु-नीतियों’ का खामियाजा आखिरकार हरियाणा के युवाओं को भुगतना पड़ा।

रोजगार छीनने की नीति पर काम कर रही खट्टर सरकार

दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि प्राइवेट ही नहीं सरकारी क्षेत्र में भी प्रदेश की खट्टर सरकार रोजगार खत्म करने की नीति पर काम कर रही है। 6 साल में सरकारी क्षेत्र में जितनी नौकरियां दी गई , उससे ज्यादा कर्मचारी तो रिटायर हो गए। उतने ही कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर दिया गया। आज लाखों युवा भर्तियां निकलने या उनके पूरा होने का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन खट्टर सरकार कह रही है कि सरकारी महकमों में कर्मचारी सरप्लस हैं। हुड्डा सरकार के दौरान सिर्फ सरकारी क्षेत्र में करीब 3 लाख नौकरियां दी गई । प्राइवेट सेक्टर में रिकॉर्ड निवेश हुआ था, लाखों रोजगार पैदा हुए थे। लेकिन खट्टर कार्यकाल में हुड्डा सरकार के दौरान रोजगार पाने वालों को भी नौकरी से निकाला जा रहा है। ये सरकार कभी शिक्षा प्रेरकों, कभी कंप्यूटर टीचर्स, कभी सफाई कर्मी तो कभी पीटीआई को सरकार नौकरी से हटा रही है। इतना ही नहीं खट्टर सरकार खुद के कार्यकाल में भर्ती हुए ग्रुप-डी व अन्य कच्चे कर्मचारियों को भी नौकरी से बाहर का रास्ता दिखा रही है। एक साजिश के तरह सरकारी महकमों को ठप करके उन्हें प्राइवेट हाथों में सौंपा जा रहा है। इसके चलते प्रदेश के युवाओं में रोष लगातार बढ़ रहा है।

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