कुरुक्षेत्र में लंपी स्किन के 600 केस, कोई मौत नहीं

Lumpy Skin

भोपाल लेबोरेट्री में कुरुक्षेत्र जिला से भेजे 22 सैंपल

कुरुक्षेत्र(सच कहूँ, देवीलाल बारना)। गऊओं में लम्पी स्किन डिजीज के चलते पशुपालकों की चिंता बढ़ती जा रही है। काफी संख्या में गऊओं में इस बीमारी के लक्षण पाए जा रहे हैं। हालांकि यह प्रमाणित नहीं है कि इन गऊओं में लंपी स्किन रोग है, लेकिन लक्षण वही नजर आ रहे हैं। कुरुक्षेत्र जिला से 22 गऊओं के सैंपल भोपाल में स्थित लेबोरेट्री में विभाग द्वारा भेजे गए हैं। इस बीमारी में गऊओं के शरीर पर गांठे हो जाती हैं जिससे पशुपालाकों की चिंता बढ़ रही है। इस बीमारी के चलते दुधारू गऊओं से दूध का उत्पादन भी कम हो रहा है। हालांकि भैंसों में यह बीमारी नहीं है, लेकिन गऊओं में आने के बाद से पशुपालकों को भैंसों की चिंता भी सता रही है।

दूध में नही है कोई प्रभाव

डॉ. जसबीर ने कहा कि वैसे तो इस बीमारी से दूध में कोई प्रभाव नहीं पाया जाता है। फिर भी चाहिए कि दूध को कच्चा पीने की बजाए 50 प्रतिशत तक उबालकर पीएं।

2800 में से 2200 गऊंए हुई ठीक : डॉ. जसबीर

पशुपालन विभाग के उपमंडल अधिकारी डॉ. जसबीर ने कहा कि इस बीमारी के संभावित 2800 केस कुरुक्षेत्र जिला में पाए गए हैं जिनमें से 2200 गऊएं ठीक हो चुकी हैं। अभी 600 गऊओं में इस प्रकार की बीमारी पाई जा रही है। इस बीमारी में मृत्यु दर 1 से 5 प्रतिशत तक ही है लेकिन कुरुक्षेत्र में अभी तक किसी पशु की मौत का मामला सामने नही आया है। उन्होंने कहा कि इस बीमारी से गऊओं में रिकवरी काफी जल्दी हो रही है। उन्होने कहा कि जो गऊएं दूसरी बीमारियों से ग्रसित हैं उनमें यह बीमारी ज्यादा होने की संभावना है।

मुंह में भी हो सकती हैं गांठे

डॉ. जसबीर ने कहा कि इस बीमारी में पशु को बुखार आता है। बुखार आने के बाद पशु में कमजोरी आ जाती है। दूध उत्पादन क्षमता कम हो जाती है। यह बीमारी सिर की तरफ से पूरे शरीर में फैलती है। कई बार पशु के मुंह के अंदर भी गांठे हो जाती हैं। इसके अलावा थनों के आस पास भी गांठे बन जाती हैं। यह बीमारी एक पशु से दूसरे पशु में फैल जाती है। मक्खी, मच्छर व चिंचड़ी के कारण यह बीमारी ज्यादा फैलती है। पशु की लार के कारण भी यह बीमारी फैल सकती है। जिन पशुओं में इस प्रकार की बीमारी के लक्षण दिखें वे तुंरत नजदीक पशु अस्पाल में अपने पशु को चेक करवाएं।

बीमार पशु का चारा व पानी अलग रखें

लंपी स्किन डिजीज के लक्षण पशु में दिखाई दे तो अन्य पशुओं से लक्षण वाले पशु को दूर रखें। पानी व चारे का भी अन्य पशुओं से दूर प्रबंध करें। जिन पशुओं में इस प्रकार की बीमारी के लक्षण दिखाई दें उन पर स्पे्र भी करें ताकि कोई मच्छर, मक्खी पशु के उपर न बैठे। जो पशु पालक इस प्रकार के पशुओं की देखभाल कर रहा है व दूसरे पशु के पास हाथ अच्छे से धोकर जाए व सावधानियां बरते। पशुओं में इस प्रकार की बीमारी पाए जाने पर घरेलू नुस्खे भी अपनाए जा सकते हैं जिससे पशुओं की इम्युनिटी सिस्टम ठीक रहे।

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