नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। रक्षा मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, पोतों के निर्माण में 75 फीसदी और वायुयानों के निर्माण में 60 प्रतिशत तक सामग्री विदेशों से आयात करनी पड़ रही है। इससे देश में बनने वाले रक्षा उपकरणों के लिए भी एक बड़ी राशि विदेशी कंपनियों को जा रही है। हालांकि इस उच्च दर को कम करने का प्रयास किए जा रहे हैं।
72-75 प्रतिशत कलपुर्जे आयातित
रक्षा कंपनी एमडीएल के प्रोजेक्ट 15बी और 17ए पोतों के निर्माण में 72-75 प्रतिश विदेशी कंपोनेंट का इस्तेमाल किया जा रहा है। इस प्रोजेक्ट के वर्ष 2024-25 तक पूरा होने के आसार हैं और इसके तहत कई पोतों का निर्माण किया जा रहा है। किसी स्वदेशी रक्षा उत्पाद में यह सर्वाधिक आयातित कंपानेंट है।
60 प्रतिशत विमानों में विदेशी सामग्री
वायुसेना का निर्माण करने वाले हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड 40-60 प्रतिशत तक विदेशी कंपोनेंट का इस्तेमाल कर रहा है। मंत्रालय द्वारा दिए गए ब्योरे के अनुसार सुखोई-30 एमकेआई में 40, तेजस में 43, एएलएच में 44 तथा डीओ-228 वायुयान में 60 प्रतिशत कल पुर्जे विदेशों से आयातित हैं।
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