राजधानी में दृष्टिहीन परिवार के पास ऐसी तकनीक जिससे वो दुनिया को देखता है…

नई दिल्ली (सच कहूँ न्यूज)। आज हम आपको ऐसी खबर बताने जा रहे है जिससे आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। पूर्वी दिल्ली के घोंडा चौक के पास एक गली में मकान है। जिसमें सात सदस्यों का परिवार रहता है। लेकिन आश्चर्यजनक वाली बात यह है कि परिवार के 5 सदस्य देख नहीं सकते। इसके बावजूद इस परिवार के सदस्यों ने अपने जज्बे से शरीर की इस कमजोरी को जिंदगी पर हावी नहीं होने दिया। उनके हौंसला वाकई में काबिलेतारिफ है। चाहे घर का कामकाज, पढ़ाई, लिखाई हो, नौकरी हो, गाना बजाना या स्मार्टफोन का यूज करना हो ये लोग सब कार्य करते हैं। इनकी आंखों में भले ही रोशनी नहीं है, लेकिन अपने जीने क तरीके से इन्होंने जिंदगी को रोशन करके रखा है।

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जानें, कैसे बदली तस्वीर

डॉक्टर बसंत कुमार वर्मा 63 वर्ष के हैं। 13 वर्ष की उम्र में वो बिहार के अपने गांव से देश की राजधानी दिल्ली आने वाली एक ट्रेन में बैठकर यहां आ गए थे। गांव के लोगों को लगा कि आंखों में रोशनी तो है नहीं भीख मांगकर गुजारा कर लेंगे। लेकिन हुआ उसके उलट। बसंत कुमार ने संघर्ष के बाद एक बलाइंड स्कूल से प्राइमरी शिक्षा के बाद उच्च शिक्षा के लिए जेएनयू में दाखिला लिया और वहां से एमफिल के बाद हिंदी में पीएचडी की। अब उन्हें दिल्ली के एक सरकारी स्कूल में उन्हें पीजीटी हिंदी शिक्षक की नौकरी आसानी से मिल गई। डॉक्टर बसंत ने 1988 में शादी की। उसके बाद शादी के अगले वर्ष उनके घर बेटी अर्चना ने जनम लिया। उसके बाद तीन बेटे आदित्य, अभिनव, आलोक और एक बेटी शक्ति वर्मा ने भी जन्म लिया। लेकिन एक हादसे में अभिनव की आंखों की रोशनी भी पूरी तरह चली गई। 7 परिवारिक सदस्यों में 4 सदस्य आंखों से देख नहीं सकते।

तकनीक

डॉक्टर के बेटे अभिनव के अनुसार जब किसी हादसे में मेरी आंख चली गई तो मेरी जिंदगी में तकनीक ने दस्तक दी। हम लोग समर्थ संस्था में जाकर सीखते थे कि कैसे हम घड़ी से लेकर थर्मामीटर, खेल, कूद हर चीज का इस्तेमाल कर सकते हैं। हम कैसे तकनीक की मदद से अकेले भी घर से बाहर निकल सकते हैं। हमारी सेंसर वाली छड़ी से लेकर बोलने वाली घड़ी तक हमारी हेल्प करती हे।

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