एम्स दिल्ली व स्वास्थ्य विभाग गुरुग्राम खोजेगा दृष्टि दोष के कारण

AIIMS Delhi and Health Department sachkahoon

जिला गुरुग्राम के 6 हजार लोगों तक पहुंचेंगी टीमें

  • जिले में दृष्टि दोष के कारण समझने को पांच दिवसीय सर्वेक्षण सोमवार से

सच कहूँ/संजय कुमार मेहरा, गुरुग्राम। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) नई दिल्ली व गुरुग्राम का स्वास्थ्य विभाग मिलकर दृष्टि दोष और अंधेपन के कारणों को खोजेगा। इसकी तैयारियां कर ली गई हैं। इसके लिए सोमवार 18 सितम्बर से पांच दिवसीय सर्वेक्षण शुरू किया जा रहा है। इस सर्वेक्षण के दौरान जिले के 6 हजार लोगों तक टीमें पहुुंचेगी। इस सर्वेक्षण के लिए जिले में 30 कलस्टर बनाये गए हैं। पांच दिवसीय सर्वेक्षण में रोजाना छह टीमें जिले के विभिन्न क्षेत्रों में जाएंगी। वहां से जानकारियां जुटाएंगी।

मोतियाबिंद सर्जरी करवा चुके लोगों की आखों के स्वास्थ्य का आंकलन इस सर्वे के दौरान किया जाएगा। एम्स दिल्ली के सामुदायिक स्वास्थ्य विभाग के प्रमुख डॉ. प्रवीण वशिष्ठ व उनकी टीम द्वारा सर्वेक्षण कार्यक्रम को लेकर सभी तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं। प्रत्येक टीम के सदस्य चिन्हित क्षेत्रों में डोर टू डोर जाकर वहां के निवासियों से दृष्टि दोष व अंधापन से संबंधित प्रश्नावली भरने और आंखों की जांच करने का कार्य करेंगे। यह पूरा डेटा एक मोबाइल एप्लीकेशन आरएए-5 ऐप पर अपलोड किया जाएगा। जिसे एम्स द्वारा सर्वेक्षण के लिए विकसित किया गया है।

सर्वेक्षण के लिए तैयारियां पूरी: डॉ. विरेंद्र

सिविल सर्जन डॉ. विरेंद्र यादव के मुताबिक इस सर्वेक्षण के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। सभी टीमों को पूरा ब्यौरा दे दिया गया है। टीमें सोमवार से इस काम में जुटेंगी। उप-सिविल सर्जन डॉ. ईशा नारंग ने बताया कि यह एक पायलट सर्वेक्षण है। अगर गुरुग्राम जिला में इसके सकारात्मक परिणाम मिले तो इसे देश के अन्य जिलों में भी कराया जाएगा।

पिछले एक दशक में अंधेपन व विजन-6 में आई कमी

पिछले एक दशक में भारत अंधापन और विजन-6 में क्रमश: लगभग 47 प्रतिशत और 52 प्रतिशत की कमी के लक्ष्य तक पहुंच गया है। वर्ष 2010 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानों की तुलना में भारत में दृष्टिबाधित लोगों की संख्या लगभग 34 मिलियन तक कम हो गई है। फिर भी देश में अभी अंधापन, आंखों की समस्या के रोगी बहुत हैं। इसलिए स्वास्थ्य योजनाओं में आंखों पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों में बदलेंगे स्वास्थ्य केंद्र

हाल के वर्षों में लगातार बढ़ती और अधिक बुजुर्ग आबादी के बावजूद स्वास्थ्य देखभाल की दिशा में आयुष्मान भारत कार्यक्रम भी लाभकारी साबित हो रहा है। वर्ष 2022 तक 1 लाख 50 हजार उप-स्वास्थ्य केंद्रों (एसएचसी), प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) और शहरी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (यूपीएचसी) को स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों के रूप में बदलने की सरकार की योजना है। ये केंद्र आंखों की देखभाल के साथ व्यापक स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करेंगे।

अन्य अपडेट हासिल करने के लिए हमें Facebook और TwitterInstagramLinkedIn , YouTube  पर फॉलो करें।