महामारी से बचना सरकार ही नहीं लोगों की भी जिम्मेदारी

Coronavirus

कोरोना एक बार फिर लौट आया है, कोरोना सरकार एवं लोगों दोनों के लिए बेहद कठिन परीक्षा की तरह है। कोरोना की सबसे जोरदार मार स्वास्थ्य पर पड़ रही है, स्वास्थ्य को बचाने के लिए सरकार को एक बार फिर कर्फ्यू, लॉकडाउन की नीति पर चलना पड़ रहा है। पिछली लहर में कोरोना ने हर नागरिक को सिखा रखा है कि आपस में दूरी रखें, हाथ साफ करते रहें व मुंह को न छुएं, मास्क लगाएं। लेकिन जरा सा कोरोना काबू होने पर लोगों ने लापरवाही शुरू कर दी, जिसमें मास्क नहीं पहनना, बाहर खाना, कोई शारीरिक दूरी नहीं, सेनेटाइजर का भी कोई प्रयोग नहीं, नतीजा प्रतिदिन मरीजों की संख्या हजारों में बढ़ रही है। हालांकि कोरोना से बचाव के लिए सरकार ने कोरोना रोधी वैक्सीन का टीकाकरण अभियान बड़ी तेजी से चला रखा है, जिसे पूरी आबादी तक पहुंचाने में वक्त लगेगा।

कोरोना वैक्सीन पूरी आबादी तक जब तक नहीं पहुंचती तब तक आमजन को स्वयं भी अपना ध्यान रखना जरूरी है। बाजारों-व्यापारों को चलाए रखना सरकार क्या पूरे देश की मजबूरी है, लेकिन बाजार-व्यापार खुले हैं इसका ये अर्थ कतई नहीं कि कोरोना खत्म हो गया। कोरोना का वायरस अपने आपको बदल रहा है, कोरोना का नया-नया रूप न जाने कितना घातक हो जाए किसी को नहीं पता, हालांकि इससे पहले मनुष्य ने भयानक से भयानक रोगों पर काबू पाया है लेकिन उसके लिए मनुष्य को संयम के साथ अथक प्रयास करने पड़े हैं। कोरोना ने पूरे देश ही नहीं दुनिया को बहुत भारी आर्थिक क्षति पहुंचाई है। जिन देशों की अर्थव्यवस्था यहां विकास कर रही थी वहीं उनकी विकास की चाल गिर कर ऋणात्मक हो गई। विकास या राष्टÑों की आय ऋणात्मक हो जाने से करोड़ों लोगों के समक्ष रोजी-रोटी का संकट खड़ा हो गया है।

दुनिया में करीब 3 से 4 फीसदी आबादी गरीबी रेखा से नीचे ली गई, जो कि पहले नहीं थी। गरीबी से उपजने वाली भुखमरी अगले कई सालों तक लोगों की जिन्दगियां लीलने वाली है। रोगों व गरीबी से लड़ना सरकारों के अकेले के वश की बात नहीं है। महामारी हो या गरीबी इनसे कोई भी देश तब उभरता है, जब उसकी पूरी आबादी अनुशासन में रहकर न केवल अपनी रक्षा करती है बल्कि देश की अर्थव्यवस्था में आने वाले ठहराव को भी अपने कौशल व मेहनत से दूर रखती है। अभी देश वासियों को चाहिए कि वह कोरोना से अपना बचाव रखें, स्वास्थ्य निर्देशों का पालन करें, ताकि हर्ड इम्युनिटी से भी जीत रहे कोरोना को मात दी जा सके और देश की खुशहाली को बरकरार रखा जा सके।

 

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