चंडीगढ़ पर हक की जंग : 56 सालों में हरियाणा में नहीं पेश हुआ एक भी प्रस्ताव

Rights over Chandigarh sachkahoon

पंजाब विधानसभा डाल चुकी 7 प्रस्ताव, 1967 से करती आ रही मांग

  • हरियाणा के स्पीकर ढूंढते रहे पिछली सरकारों के प्रस्ताव

सच कहूँ/अश्वनी चावला, चंडीगढ़। चंडीगढ़ (Rights Over Chandigarh) पर हक को लेकर शुरू हुई लड़ाई में हरियाणा सरकार ने विशेष सत्र तो बुला लिया है लेकिन हैरानी इस बात की है कि पिछले 56 सालों में हरियाणा विधानसभा में ऐसा एक भी प्रस्ताव नहीं आया है, जिसमें हरियाणा ने चंडीगढ़ पर अपना दावा ठोका हो। दूसरी तरफ पंजाब की तरफ से अब तक 7 प्रस्ताव विधानसभा में पारित करते हुए केन्द्र सरकार को भेजे हुए हैं। इसको लेकर पहला प्रस्ताव तो 18 मई 1967 में पेश कर दिया गया था, जब हरियाणा को अलग हुए मात्र 1 साल ही हुआ था।

हरियाणा विधानसभा में ऐसा प्रस्ताव क्यों नहीं आया है इसको लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। क्योंकि हरियाणा विधानसभा के अधिकारियों को रिकॉर्ड रूम में ऐसा कोई प्रस्ताव मिल ही नहीं रहा है, इसलिए अभी तक हरियाणा विधानसभा यह मानकर चल रही है कि पिछली सरकारों ने इस तरह का कोई भी प्रस्ताव विधानसभा की कार्रवाई में लाकर पास ही नहीं किया है।

सोमवार को हरियाणा विधानसभा सत्र के अधिकारी इसी कार्य में लगे रहे, परंतु शाम होने के पश्चात भी इस तरह का कोई भी प्रस्ताव हरियाणा विधानसभा के हाथ में नहीं लगा, जिसके चलते उन्होंने प्रस्ताव ढूंढने की कार्रवाई को यहीं पर रोकते हुए यह मान लिया कि भूतकाल में ऐसा कोई प्रस्ताव डाला ही नहीं गया है।

पंजाब विधानसभा में पास हुए सात प्रस्ताव

पंजाब विधानसभा में पारित हुए सात प्रस्तावों में से पहला 8 मई 1967 को आचार्य पृथ्वी सिंह आजाद प्रस्ताव लेकर आए थे। इसके बाद चौधरी बलबीर सिंह 19 जनवरी 1970 को लेकर आए जबकि सुखदेव सिंह ढिल्लों ने 7 सितंबर 1978 को प्रकाश सिंह बादल की सरकार के दौरान प्रस्ताव पेश किया था। बलदेव सिंह मान ने 31 अक्टूबर 1985 को सुरजीत सिंह बरनाला की सरकार के दौरान प्रस्ताव पेश किया था। ओम प्रकाश गुप्ता ने 6 मार्च 1986 को प्रस्ताव पेश किया। 23 दिसंबर 2014 को गुरदेव सिंह झूलन ने बादल की सरकार के दौरान यह प्रस्ताव पेश किया था। बीते शुक्रवार (1 अप्रैल) को भगवंत मान आठ साल के अंतराल के बाद यह संकल्प लेकर आए हैं।

जब चंडीगढ़ हमारा है तो प्रस्ताव की क्या जरूरत : हुड्डा

हरियाणा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के 10 साल के कार्यकाल में इस तरह का प्रस्ताव क्यों नहीं आया, इस सवाल पर भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि जब चंडीगढ़ हरियाणा का ही है तो उसे लेने के लिए प्रस्ताव डालने की क्या जरूरत है? भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि अपनी चीज कभी भी मांगी नहीं जाती बल्कि उस पर हक जताया जाता है और चंडीगढ़ को हम शुरू से ही अपना मानते आ रहे हैं। इसलिए हमने अपनी सरकार के कार्यकाल के 10 सालों में ऐसा कोई भी प्रस्ताव नहीं पेश किया बल्कि शुरू से ही चंडीगढ़ पर अपना हक जताते आये हैं।

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